पटना ब्लापस्टर : नेपाल में हो सकता है दहशतगर्द हैदर

गांधी मैदान में दहशतगर्द तहसीन अख्तर उर्फ मोनू के साथ बम प्लांट करने में शामिल दहशतगर्द हैदर अली उर्फ अबदुल्ला के नेपाल भाग जाने का खदसा है। वाकिया के बाद इन दोनों दहशतगर्दों को मोतिहारी वाक़ेय ताबिश नेयाज उर्फ अरशद के घर पनाह लेने की मंसूबा थी, लेकिन मौके से इम्तियाज के पकड़े जाने के बाद इन दोनों ने अपना प्लान बदल दिया।

ज़राये से मिली मालूमात के मुताबिक मोतिहारी के रास्ते हैदर नेपाल भाग गया है। वह असल तौर से रांची के धुर्वा के सिठियो गांव का ही रहनेवाला है। बिहार के औरंगाबाद वाक़ेय मदनपुर में उसका ननिहाल है। पुलिस उसकी तलाश में औरंगाबाद वाक़ेय ननिहाल में भी दबिश दी थी, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। हैदर के बारे में बताया जाता है कि वह मोनू के कहने पर इंडियन मुजाहिदीन का सरगर्म रुक्न बना था। हुंकार रैली के दिन मोनू ने हैदर के साथ ही बम प्लांट किये थे।

हैदर के कहने पर ही सिठियो गांव के तारिक उर्फ एनुल, इम्तियाज आलम, नुमान अंसारी, तौफिक अंसारी दहशतगर्द की राह पकड़ी थी। बाद में तहशीन अख्तर उर्फ मोनू सिठियो गांव का दौरा किया था। इन दहशतगर्दों से मिलने के बाद इनका माइंड वाश किया गया। इन्हें जेहादी बनाने के लिए मोनू ने कई सीडी दिखायी। सीडी देखने के बाद तमाम आइएम के सरगर्म मेम्बर बन गये।

ताबिश ने कहा कि रेकी में सद्दाम भी था शामिल : सात दिनों के लिए रिमांड पर लिये गये दहशतगर्द ताबिश नेयाज उर्फ अरशद पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह छह अक्तूबर को पटना आया था। यहां आने के बाद वह दो दिनों तक एक होटल में ठहरा। उसके बाद आठ से दस अक्तूबर तक कुनकुन सिंह लेन वाक़ेय सद्दाम के घर ठहरा था। उसका कहना है कि हुंकार रैली के दिन बम प्लांट करने के लिए वह गांधी मैदान के चप्पे-चप्पे की रेकी किया था। उसके बाद वह पटना जंकशन का भी रेकी किया था। इन दोनों जगहों में उसके साथ सद्दाम भी था। गांधी मैदान की रेकी करने के बाद ताबिश ने सारी जानकारी दहशतगर्द तहशीन और हैदर को दे दी थी।

जिला शुमारियात ओहदेदार था सद्दाम : पुलिस की तहक़ीक़ात में यह बात सामने आयी है कि सद्दाम के वालिद शुमारियात डाइरेक्टर नहीं था। सद्दाम खुद इस महकमा में मुलाज़िमत करता था। वह दो सालों तक मंसूबा तरक़्क़ी महकमा के अदाद और शुमार डाइरेक्टर कांट्रेक्ट पर बहाल हुआ था। सद्दाम दो सालों तक मधुबनी और छपरा में जिला शुमारीयात ओहदेदार के ओहदे पर रहा। इसी साल 8 अप्रैल को उसका कांट्रेक्ट खतम हो गया तो उसे मुलाज़िमत से निकाल दिया गया था।