पटियाला हाउस अदालत में दो दिन पहले हुई हिंसा की स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजी गई वरिष्ठ वकीलों की छह सदस्यीय समिति ने आज सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। साथ ही समिति के सदस्य राजीव धवन ने पुलिस और हमलावरों के बीच ‘साठगांठ’ का आरोप भी लगाया।
समिति द्वारा रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ को सौंपी गई लेकिन दिल्ली पुलिस के वकील अजीत के सिन्हा ने इसे पढ़े बिना इस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। वह वकीलों की टीम का हिस्सा थे। शीर्ष अदालत के आदेशों की अवज्ञा करते हुए कुछ वकीलों के जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार और कुछ पत्रकारों पर हमला करने के बाद कोर्ट ने धवन, कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और हरेन रावल समेत वकीलों की टीम को पटियाला हाउस अदालत परिसर में जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा था।
पीठ ने कहा, ‘हम पटियाला हाउस अदालत में कानून व्यवस्था की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। सबको बयान देते वक्त सावधान रहना चाहिए।’ सिन्हा ने कहा कि उनसे रावल ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने को कहा। लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह पढ़े बिना हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। सिन्हा ने जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ से कहा, ‘मैंने कहा कि मैं रिपोर्ट पढ़े बिना इसपर हस्ताक्षर नहीं कर सकता।’
भाषा
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