पटेल खादी पहनते थे, मोदी डिज़ाइनर कुर्ते-दिग्विजय सिंह

सरदार पटेल और नरेंद्र मोदी का दिग्विजय‌ सिंह की जानिब से तक़ाबुल

सरदार पटेल की विरासत के बारे में जारी जंग के दौरान कांग्रेसी क़ाइद दिग्विजय‌ सिंह ने बी जे पी के विज़ारते उज़मा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर तन्क़ीद करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान के अव्वलीन वज़ीर-ए-दाख़िला इन्किसार की तजसीम थे जबकि चीफ़ मिनिस्टर गुजरात तकब्बुर की तजसीम हैं। पटेल और मोदी की शख़्सियतों के दरमयान इख़तिलाफ़ात की एहमीयत ज़ाहिर करते हुए दिग्विजय सिंह ने अपने माईक्रो ब्लॉगिंग वैब साईट टोइटर पर तहरीर क्या सरदार अपनी सादगी और इन्किसार के लिए मारूफ़ थे।

उन्होंने ज़िंदगी भर खादी पहनी। मोदी डीज़ाइनर मलबूसात और मशहूर कंपनीयों का चशमा पहन कर तस्वीरकशी करवाते हैं। सरदार पटेल इन्किसार की तजसीम थे और मोदी धोका बाज़ी और तकब्बुर की तजसीम हैं। सरदार पटेल ने हिन्दुस्तान को मुत्तहिद किया जबकि मोदी मुंतशिर कररहे हैं। एन डी ए, बी जे पी, हिंदूओं और मुस्लमानों में क़ौम की तक़सीम कररहे हैं। सरदार पटेल ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ काश्तकारों को मुनज़्ज़म किया था।

वो गुजरात में इमदाद-ए-बाहमी तहरीक के रूह रवां थे। मोदी के इक़तिदार में उनकी फ़हरिस्त में दोनों बातें शामिल नहीं हैं। क़ब्लअज़ीं मंगल के दिन वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के दरमियान सरदार पटेल के बारे में नज़रियाती जंग हुई थी। मोदी ने ख़ाहिश ज़ाहिर की थी कि काश कि मर्द-ए-आहन हिन्दुस्तान के अव्वलीन वज़ीर-ए-आज़म होते और वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने वज़ाहत की थी कि सरदार पटेल कांग्रेस के क़ाइद थे और बुनियादी तौर पर सैकूलर थे। दरपर्दा जवाहरलाल नहरू पर तन्क़ीद करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर सरदार पटेल मुल्क के अव्वलीन वज़ीर-ए-आज़म होते तो मुल्क का मक़सद मुख़्तलिफ़ होता।

नरेंद्र मोदी के साथ अहमदाबाद में शहि नशीन पर वज़ीर-ए-आज़म भी मौजूद थे जिन्होंने आज़ादी के बाद मुल्क को मुत्तहिद करने का सहरा सरदार पटेल के सर बांधा था। उन्होंने कहा था कि मुल्क का इत्तिहाद और यकजहती आज तमाम महाज़ों पर ख़तरे में है। चाहे ये ख़तरा दहशतगर्दी से लाहक़ हो या माओआज़म से। बी जे पी के विज़ारत-ए-उज़मा के उम्मीदवार ने पंजाब की मिसाल देते हुए कहा था कि जो लोग तशद्दुद इख़तियार करते हैं वो महात्मा गांधी और सरदार पटेल के मुल्क में कामयाब नहीं होंगे। मोदी ने कहा था कि पटेल साहिब बसीरत शख़्सियत थे जो 1919 में ही ख़वातीन के लिए तहफ़्फुज़ात के बारे में सोचते थे। उन्होंने कहा कि वो बमों और बंदूकों पर माइल होने वाले गुमराह नौजवानों से कहना चाहते हैं कि उनसे मुल्क को नुक़्सान पहूँचता है लेकिन इस से ज़्यादा नुक़्सान ख़ुद उन के अपने तबक़ात को पहूँचता है।