नई दिल्ली: दिफ़ाई माहिरीन ने पठानकोट में हिन्दुस्तानी फ़िज़ाईया के हवाई अड्डे पर दहशतगर्द हमले से निमटने के तरिक़ेकार में राबिता के फ़ुक़दान की निशानदेही की है। इस कार्रवाई में मुख़्तलिफ़ एजंसियों के मुलव्विस होने के ताल्लुक़ से भी कई सवालात उठाए हैं।
साथ ही साथ माहिरीन ने ये भी कहा है कि जल्द-बाज़ी की क़तई ज़रूरत नहीं क्योंकि दहशतगर्द उस वक़्त घेरे में हैं और अगर उजलत पसंदी का मुज़ाहरा किया जाये तो नुक़्सानात में इज़ाफ़ा होगा। वाज़िह रहे कि इस कार्रवाई में अब तक 7 फ़ौजी अहलकार हलाक हो गए हैं।
इन माहिरीन ने हिन्दुस्तानी फ़िज़ाईया और फ़ौज के माबेन बहतरीन ताल मेल की ज़रूरत पर-ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि राबिता का फ़ुक़दान पाया जाता है। हमारे पास कई एजंसियां एनएसजी, पंजाब पुलिस , एयर फ़ोर्स के गार्ड कमांडोज़ और फ़ौज हैं जो इस वक़्त जारी ऑपरेशन में शरीक हैं।
माहिरीन का कहना है कि हमारी फ़ौज उसी सूरत-ए-हाल से निमटने की बख़ूबी सलाहियत रखती है और पहले ही दिन से ये काम होना चाहिए था। साबिक़ फ़ौजी सरबराह वी पी मलिक ने कहा कि फ़ौज को ये ज़िम्मेदारी तफ़्वीज़ करते हुए ऑपरेशन के लिए जवाबदेह बनाना आसान था।
उनका ये एहसास है कि इब्तेदाई मरहले में ही ऑपरेशन को पेचीदा कर दिया गया। लेफ्टेनेंट जनरल (रिटायर्ड) एच एस पनाग, लेफ्टेनेंट जनरल (रिटायर्ड) राज कडियाँ ने भी यही राय ज़ाहिर की।