पठानकोट हमला: एक कुक जिसने देश के नमक का क़र्ज़ अपनी जान देकर चुकाया।

देश के सिपाही रात भर जाग कर देश की सरहदों पर पहरा देते हैं ताकि हम चैन से अपने घरों में सो सकें” यह लफ्ज़ अक्सर हम सुनते हैं हर उस शक्श से जो देश के इन जवानों और इनके जज़्बे को सलाम करता है। और यकीन मानिए तो यह सच भी है क्यूंकि हम आज खुलेआम इसीलिए रह पा रहे हैं क्यूंकि देश के करीबन 85% हिस्से में अमन कायम है।

पिछले दिनों देश के पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में देश के जवानों ने अपनी जान पर खेल कर आतंकवादियों को सबक सीखने के लिए जो करवाई की है वो काबिले तारीफ है। जैसे कि हर जंग का उसूल है कि खून दोनों तरह ही बहेगा, आतंकी मारे जा चुके हैं लेकिन हमले में कई जवान शहीद हुए हैं लेकिन देश के जवानों ने इस हमले का मुंह तोड़ जवाब देकर एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनसे टक्कर लेने वालों का अंजाम मौत ही होगा। शहीद हुए जवानों में से एक ऐसा जवान भी है जो हमले के वक़्त रसोई में जवानों के लिए और रसोइयों के साथ खाना बना रहा था।

हालाँकि 58 साल के इस रसोइये का था काम तो खाना बनाना ही था लेकिन अपने देश के नमक का क़र्ज़ लौटाने के लिए देश के इस वीर सिपाही ने जो किया वो कबीले तारीफ है और आने वाली कई पीढ़ियों तक लोग इस बहादुर सूरमे की हिम्मत की दाद देते रहेंगे। ये कहानी है हिमाचल प्रदेश के रहने वाले 58 साल के जगदीश चंद की जिनकी बहादुरी के चलते आतंकियों के मंसूबों पर काफी हद तक पानी फिर गया।

जगदीश ने शनिवार को पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले आतंकियों का सामना सबसे पहले किया था। आतंकी की गोली का शिकार होने से पहले उन्‍होंने एक आतंकी को ढेर कर दिया था। दरअसल सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की सबसे पहली मुठभेड़ गरुड़ कमांडो के साथ हुई। इस हमले में एक गरुड कमांडो शहीद हो गया और एक जख्‍मी हो गया। वहां से गोलियां चलाते हुए आतंकी लाइट जलती देख एक मैस (रसोई) की तरफ भागे, जहां डिफेंस सिक्‍योरिटी कॉर्प्‍स (DSC) के जवान सुबह के नाश्‍ते की तैयारी कर रहे थे। आतंकियों ने मैस में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें डीएससी के तीन जवान शहीद हो गए। जब आतंकी वहां से भागने लगे तो मैस में काम करने वाले डीएससी के हवलदार निहत्थे जगदीश चंद ने अपनी जान की परवाह किये बिना उनका पीछा किया और एक आतंकवादी को धार दबोचा जगदीश सिंह ने बड़ी बहादुरी से आतंकवादी को उसी की राइफल से मार गिराया। इसके बाद जगदीश बाकी आतंकवादियों के पीछे भागे लेकिन तभी एक दूसरे आतंकी की गोली का निशाना बन गए और शहीद हो गए।

एयरबेस के अफसरों का कहना है कि अगर हवलदार जगदीश चंद डटकर आतंकवादियों का मुकाबला नहीं करते तो वे एयरबेस में भारी तबाही मचा सकते थे। चंद रिटायर्ड फौजी थे, रिटायरमेंट के बाद उन्‍हें DSC में बहाल किया गया था। दिसंबर में लेह से उनका तबादला किया गया था और उन्‍होंने पहली जनवरी को ही पठानकोट में ड्यूटी जॉइन की थी। और जैसे की देश की सेना के बारे में कहावत है जगदीश का परिवार भी पीढ़ियों से देश की सेवा करने के लिए सेना में काम करता आ रहा है। जगदीश अपने पीछे एक पूरा परिवार छोड़ गए हैं जिसमें उनकी पत्‍नी स्‍नेहलता और तीन बच्‍चे हैं।