नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन तलाक के मुद्दे अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को खत्म कर दिया है, कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 महीने के अंदर इसको लेकर कानून बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के कमरा नंबर 1 में 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाना शुरू किया।
मुख्य न्यायधीश जस्टिस जे.एस. खेहर ने सबसे पहला अपना फैसला पढ़ना शुरू किया, करीब 10 मिनट ने अपना फैसला पढ़ा। जस्टिस खेहर ने कहा कि तीन तलाक अंसवैधानिक नहीं है। तीन तलाक किसी भी तरह आर्टिकल 14, 15 और 21 का उल्लंघन नहीं है।
जस्टिस खेहर के बाद अन्य जजों ने अपना फैसला पढ़ा। जस्टिस आरएफ नरिमन, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस यूयू ललित तीन तलाक को असंवैधानिक बताया। तीन जजों ने तीन तलाक को अंसवैधानिक घोषित किया, दो जजों ने ऐसा करने के खिलाफ थे। 3-2 के फैसले से एक साथ तीन तलाक खत्म हो गया है।
इन पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
1. चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख)
2. जस्टिस कुरियन जोसेफ (ईसाई)
3. जस्टिस आरएफ नरिमन (पारसी)
4. जस्टिस यूयू ललित (हिंदू)
5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर (मुस्लिम)
गौरतलब है कि 5 जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट में यह सुनवाई 6 दिनों तक चली थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में साफ किया था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने तीन तलाक को ‘दुखदायी’ प्रथा करार देते हुए न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह इस मामले में ‘मौलिक अधिकारों के अभिभावक के रूप में कदम उठाए।’