पण्डित तबक़ा कश्मीरी समाज का अहम हिस्सा: मजलिस इत्तिहाद मिल्लत

जम्मू-ओ-कश्मीर की अहम मज़हबी तंज़ीमों ने आज एक अहम बयान देते हुए कहा कि वो कश्मीरी पण्डित जो 1970 में वादी से हिज्रत करगए थे, उन्हें वापसी का पूरा पूरा हक़ है और अगर वो वापिस आना चाहते हैं तो उनका खैरमक़दम किया जाएगा।

उन के साथ ही साथ उन तंज़ीमों ने मर्कज़ी हुकूमत को ये इंतिबाह भी दिया कि वापिस आने वाले पंडितों के लिए कोई अलाहदा नौ आबादियात क़ायम ना की जाये। सदर मजलिस इत्तिहाद मिल्लत जम्मू-ओ-कश्मीर मुफ़्ती बशीर उद्दीन ने एक प्रेस कान्फ़्रेंस के दौरान कहा कि पण्डित कश्मीरी समाज का अहम हिस्सा हैं।

उन्हें 1990 में एक साज़िश के तहत वादी छोड़ने पर मजबूर किया गया था। उन्हें वापिस आने का पूरा इख़तियार है और वो अपने आबाई मुक़ामात पर अपने मुस्लिम हमसाइयों के साथ एक बार फिर आबाद होसकते हैं और आम शहरी की तरह ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं। हम इनका खैरमक़दम करेंगे। यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि मजलिस तक़रीबन एक दर्जन मुख़्तलिफ़ मज़हबी तंज़ीमों की नुमाइंदा फ़ोर्म है जिन में जमात-ए-इस्लामी और जमईयत अहल-ए-हदीस भी शामिल हैं।

मुफ़्ती बशीर उद्दीन जम्मू-ओ-कश्मीर के मुफ़्ती-ए-आज़म भी हैं उन्होंने कहा कि अगर मर्कज़ी हुकूमत ने पंडितों के लिए नौ आबादियात क़ायम करने की कोशिश की तो इस के संगीन नताइज सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीरी अवाम बिशमोल पंडितों की अक्सरियत इस मंसूबा पर पस-ओ-पेश का शिकार है और उसे कभी क़बूल नहीं करेगी।