पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या ने प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दुनिया में जलील किया

रियाज़ में कार्यक्रमानुसार आयोजित होने वाले आर्थिक सम्मेलन के बहिष्कार का क्रम जारी है और यह सिलसिला व्यापक होता जा रहा है।

इस सम्मेलन को मरुस्थल का दाओस कहा जाता है जो वास्तव में विदेशी निवेशको को आकृष्ट करने के लिए आयोजित होने वाला है और इस सम्मेलन को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बिन सलमान की महत्वकांक्षी योजना, वीज़न 2030 को पूरा करने की दिशा में उठाया जाने वाला महत्वपूर्ण क़दम कहा जा रहा है लेकिन सरकार विरोधी पत्रकार जमाल खाशुक़जी के इस्तांबूल में सऊदी वाणिज्य दूतावास से लापता होने के बाद इस सम्मेलन के बहिष्कार का क्रम शुरु हो गया है जो व्यापक होता जा रहा है।

लेबनान के अलअखबार समाचार पत्र ने अपनी एक रिपोर्ट में जमाल अब्दुन्नासिर से जमाल खाशुकजी तक शीर्षक के अंतर्गत लिखा है कि आले सऊद हमेशा से ही अपने विरोधियों की हत्या में उन्हें रास्ते से हटाने में दक्ष रहे हैं चाहे वह जमाल अब्दुन्नासिर जैसी राजनीतिक हस्ती हो या फिर जमाल खाशुकजी जैसा कोई पत्रकार। हालांकि जमाल अब्दुन्नासिर की बम द्वारा हत्या करने की सऊदी अरब की साज़िश नाकाम हो गयी थी लेकिन इससे उसकी प्रवृत्ति का पता ज़रूर चलता है।

जमाल खाशुकजी की हत्या किए जाने की आशंका प्रबल हो रही है और पूरी दुनिया में सऊदी अरब के इस अपराध की आलोचना हो रही है और सऊदी अरब के विदित रूप से दोस्त कहे जाने वाले देश भी उससे दूर हो रहे हैं यहां तक कि रियाज़ के आर्थिक सम्मेलन का बहिष्कार करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

हालांकि इस सम्मेलन से बहुत अधिक उम्मीद नहीं थी क्योंकि बिन सलमान ने जिस प्रकार से सऊदी अरब के भीतर राजघराने के अपने विरोधियों और बड़े बड़े व्यापारियों को गिरफ्तार किया था और उनसे बहुत कुछ वसूलने के बाद उन्हें छोड़ा था , उसके बाद यह आशा कि विश्व भर से लोग सऊदी अरब जाकर निवेश करेंगे , मूर्खता ही थी लेकिन इसके बावजूद सऊदी अरब और बिन सलमान को इस सम्मेलन से बहुत उम्मीद थी जिस पर अब पानी फिर गया है।

बिन सलमान ने अपने विरोधियों के साथ यही रवैया रखा है लेकिन खाशुकजी की संभावित हत्या उनके लिए बहुत महंगी साबित हो रही है।

साभार- ‘parstoday. com’