पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी हत्या: जर्मनी से बिगड़ सकते हैं सऊदी अरब के रिश्ते?

सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की मौत की पुष्टि के बाद अब जर्मनी में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सऊदी अरब पर किसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे. जर्मन सरकार ने फिलहाल सऊदी को हथियारों के निर्यात पर रोक लगा दी है.

जर्मन सरकार ने सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की मौत पर शोक जताते हुए सऊदी सरकार से इस बारे में और जानकारी मांगी है. चांसलर अंगेला मैर्केल और विदेश मंत्री हाइको मास ने एक साझा बयान में कहा है, “ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर हम सऊदी अरब से पारदर्शिता की उम्मीद करते हैं.” बयान में कहा गया है कि खशोगी की मौत के बारे में दी गई सफाई “पर्याप्त नहीं है”.

चांसलर मैर्केल ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे फिलहाल हथियारों के निर्यात पर रोक लगा रही हैं. उन्होंने कहा, “मैं उन सब लोगों से इत्तेफाक रखती हूं जिनका मानना है कि मौजूदा स्थिति में हथियारों का निर्यात नहीं किया जा सकता.

इससे पहले शनिवार को एक अलग इंटरव्यू में विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा था कि उन्हें लगता है कि जब तक खशोगी की हत्या का मामला साफ नहीं हो जाता, तब तक सऊदी को हथियार बेचने पर रोक लगा देनी चाहिए. उन्होंने उन कारोबारियों की भी सराहना की, जिन्होंने रियाद में होने वाले सऊदी ट्रेड फाइनेंस समिट में जाने से इनकार कर दिया है.

यह शिखर सम्मलेन 14-15 नवंबर को आयोजित होगा और जर्मन कंपनी सीमेंस इसकी बड़ी स्पॉन्सर है. लेकिन अब सीमंस ने भी इससे दूरी बनाने का फैसला किया है.

सऊदी के खिलाफ सरकार और विपक्ष, दोनों ही तरफ से आवाजें उठ रही हैं. विपक्ष की ग्रीन पार्टी ने सऊदी के साथ राजनयिक संबंध बर्खास्त करने और हथियारों के निर्यात पर रोक लगाने की मांग की थी.

ग्रीन पार्टी के प्रवक्ता ओमिद नोरिपोर ने कहा, “सऊदी शाही परिवार पूरी दुनिया को जिस तरह बेवकूफ समझता है, वह बिलकुल बर्दाश्त के बाहर है.” नोरिपोर सऊदी की उस घोषणा की ओर इशारा कर रहे थे जिसमें कहा गया है कि खशोगी की मौत इस्तांबुल स्थित सऊदी कंसुलेट में हाथापाई के दौरान हो गई.

इसी तरह गठबंधन सरकार में शामिल एसपीडी पार्टी ने भी हथियारों की बिक्री पर रोक का समर्थन किया. एसपीडी के अध्यक्ष लार्स किंगबाइल ने कहा, “इस तरह की अकल्पनीय घटना के बाद जर्मनी को सऊदी के साथ अपने रिश्तों के बारे में फिर से सोचना चाहिए.” हालांकि जर्मनी के लिए सऊदी से रिश्ता तोड़ना इतना भी आसान नहीं है.

2018 में जर्मनी ने जिन देशों को सबसे ज्यादा हथियार बेचे हैं, उनमें सऊदी अरब दूसरे नंबर पर है. सितंबर तक 41.6 करोड़ यूरो के हथियारों का निर्यात किया जा चुका था. सऊदी से पहले नंबर आता है अल्जीरिया का जहां 74.1 करोड़ यूरो के हथियार निर्यात किए गए.

सऊदी अरब के लिए जर्मनी हथियारों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है. जर्मनी के अलावा वह अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से भी हथियार खरीदता है.

गठबंधन समझौते के तहत जर्मनी ऐसे किसी भी देश को हथियार नहीं बेच सकता जो यमन में चल रहे युद्ध में सीधे तौर से जुड़ा हो. जिन देशों के साथ नई गठबंधन सरकार बनने से पहले से ही करार किए जा चुके हैं, उन्हें इस नियम से छूट है. यही वजह है कि हूथी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ रहे सऊदी को जर्मनी अब भी हथियार निर्यात कर रहा है.

इसके अलावा पिछले एक साल में जर्मनी और सऊदी के रिश्ते यूं भी बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. जर्मनी के पूर्व विदेश मंत्री जिग्मार गाब्रिएल ने सऊदी की निंदा करते हुए मध्य पूर्व में उसकी गतिविधियों को दुस्साहस बताया था. इसके जवाब में सऊदी ने बर्लिन से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था.

अब हाइको मास के विदेश मंत्री बनने के बाद दोनों देशों में रिश्तों के सुधरने की शुरुआत हुई. सऊदी राजदूत दोबारा बर्लिन आ गए लेकिन इसके ही दिन बाद खशोगी का मामला गरमा गया. ऐसे में जर्मन सरकार बहुत संभल कर अपने शब्दों को चुन रही है.