सदर बशारुल असद का कहना था कि अगर अवाम चाहते हैं कि वो रहें तो वो सदर रहेंगे, बसूरते दीगर वो जल्द इक़तिदार से अलाहिदा हो जाएंगे। शाम के सदर बशारुल असद ने अपने मुल्क से बड़ी तादाद में यूरोप का रुख करने वाले पनाह गुज़ीनों की हालिया लहर का इल्ज़ाम मग़रिबी मुल्कों पर आइद करते हुए कहा है कि मग़रिब ने शाम के बोहरान के आग़ाज़ ही से “दहश्तगर्दी” की मुआवनत की।
मार्च 2011 में शाम में उस वक़्त तनाज़ा ने ज़ोर पकड़ा जब बशारुल असद की हुकूमत के ख़िलाफ़ शुरू होने वाले पुरअमन मुज़ाहिरे तशद्दुद की सूरत अख़तियार कर गए जिन्हें सरकारी फ़ोर्सेस की तरफ़ से किए जाने वाले क्रैक डाउन ने मज़ीद खतरनाक बना किया। चार साल से ज़ाइद अर्से से जारी इस तनाज़ा के बाइस लाखों लोग अपना घर-बार छोड़ने पर मजबूर हुए।