मुंबई, १६ नवंबर ( एजेंसी) माहिरीन(Expert)सेहत पपीता के बारे में हमेशा से सेहत अफ़्ज़ा-ए-ख़्यालात का इज़हार करते आए हैं जहां उसे इंतिहाई एहमीयत का हामिल फल क़रार दिया गया है । डायबीटीज के मरीज़ों के लिए भी इस फल के इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं है ।
पपीता बाज़ार में वाफ़र मिक़दार में दस्तयाब रहता है और उसकी सब से बड़ी ख़ूबी ये है कि उस की क़ीमतें दीगर फलों की तरह आसमान पर नहीं होतीं । ये हर एक की क़ुव्वत ख़रीद के अंदर होता है । ख़ुश्क पपीता जिसे पपीता भी कहते हैं इस का इस्तेमाल गोश्त के पकवानों में भी किया जाता है ताकि गोश्त सख़्त ना रह जाए इलावा अज़ीं फ्रूट सलाद में भी पपीता का अहम मुक़ाम है ।
ये सर्द मर्तुब होता है लेकिन इस के कोई ज़िमनी असरात नहीं होते । ऐसा भी कहा जाता हैकि पपीता के बीजों को काली मिर्च की जगह पर इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस बात की तौसीक़ नहीं की जा सकती । डायबीटीज के मरीज़ों को जहां आम सीताफल और दीगर इंतिहाई मीठे फल खाने पर पाबंदी है वहीं पपीता के इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं।
यही नहीं बल्कि फलों की आम फ़हरिस्त में भी पपीता का नाम नुमायां तौर पर पाया जाता है । ये ख़रबूज़ा और तरबूज़ फेमिली से ताल्लुक़ रखता है । सर्द ममालिक में इसकी पैदावार बहुत होती है और ये सेहत के लिए मुफ़ीद (फायदेमंद) है । रोज़ाना रात के खाने के बाद अगर एक प्लेट पपीता की क़ाशें खाई जाएं तो खाना जल्द हज़म होता है ।