परनब मुकर्जी का ब्यान

तिलंगाना मसला पर मर्कज़ अपनी सयासी वाबस्तगी का लिहाज़ कररहा है तो उसे मसला की यकसूई मैं दानिस्ता ताख़ीर की सूरत में रौनुमा होने वाले अबतर हालात का सामना करने में मुश्किलात दरपेश होंगी। वज़ीर फ़ीनानस परनब मुकर्जी ने एक ख़ानगी टी वी चिया नल को इंटरव्यू देते हुए तलंगाना रियासत के क़ियाम को अपनी या हुक्मराँ पार्टी की शतरंजी सियासत की राय से मरबूत करने की कोशिश की। आंधरा प्रदेश में कांग्रेस उमोर के इंचार्ज ग़ुलाम नबी आज़ाद ने मसला की संगीनी का एहसास रखने के बावजूद मुआमलाफह्मी का कोई मुज़ाहरा नहीं किया। सदर कांग्रेस सोनीया गांधी से मुशावरत का अमल कब तक बरक़रार रखा जाएगा। एक ऐसे वक़्त जब कि तलंगाना इलाक़ा में हामीयों के सब्र का पैमाना लबरेज़ होरहा ही, मसला तलंगाना की पेचीदगी में इज़ाफ़ा होता जा रहा है। मुताल्लिक़ा फ़रीक़ैन का मौक़िफ़ टाल मटोल पर ही मुहीत है। इस तरह मर्कज़ या कांग्रेस हाईकमान तलंगाना मसला को तूल दे कर इलाक़ा की तरक़्क़ी का चेहरा मसख़ कररहे हैं। कोई मसला हल करने के बजाय गौना गों मसाइल का बड़ा ख़ारज़ार खड़ा करदिया जा रहा है। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने सी पी आई ऐम के एक मकतूब का जवाब देते हुए तलंगाना पर इत्तिफ़ाक़ राय पैदा करने की कोशिशों का हवाला दिया है। आख़िर ये इत्तिफ़ाक़ राय की सूरत और मुद्दत का कोई तो ताय्युन होना चाहिये। तलंगाना के हामीयों को ये यक़ीन दिलाया जाना चाहीए कि इत्तिफ़ाक़ राय की बहरहाल कोई ना कोई सूरत निकाल कर मसला की यकसूई की जाएगी। मर्कज़ अपनी हकीमाना बसीरत और शातिराना सियासत से सिर्फ वक़्त टालते हुए तलंगाना अवाम के जज़बात को अपनी चालाकियों का असीर बनाने की सोच में मुबतला रहे तो मसाइल हाथ से निकल जाएंगी। सी पी आई ऐम के लीडर प्रकाश कर्त के नाम रवाना करदा जवाबी मकतूब में ये तस्लीम किया गया है कि तलंगाना का मसला पेचीदा है और हुकूमत उसे हल करने के लिए कोशां है। सवाल ये पैदा होता है कि मर्कज़ जब मानता है कि तलंगाना का मसला पेचीदा है तो उसे फ़ौरी हरकत में आना चाहीए लेकिन अगर वो उसे मज़ीद पेचीदा बनाना चाहता है तो फिर मसाइल की तवील फ़हरिस्त सामने आएगी। तलंगाना इलाक़ा के तलबा-ए-ने धमकी दी है कि वो ख़ुदकुशियों का सिलसिला शुरू करते हुए एक जान के बदले चार ज़िंदगीयां तबाह करदेंगी, इमलाक का नुक़्सान भी होगा। ये धमकीयां संगीन हैं। इस पर ध्यान दिए बगै़र पुलिस को मुकम्मल इख़्तयारात देते हुए एहतिजाज को कुचलने ताक़त का इस्तिमाल किया जाय तो मसला ख़ूँरेज़ी की सूरत इख़तियार करेगा। तलंगाना में गुज़श्ता 25 रोज़ से आम हड़ताल ने अवामी ज़िंदगी को मसाइब से दो-चार करदिया ही। सिंगारीनी कालरीज़ के मज़दूरों की हड़ताल के सबब बर्क़ी सरबराही मस्दूद होरही ही। आर टी सी के मुलाज़मीन ने हड़ताल का हिस्सा बन कर मुसाफ़िर यन को सड़कों पर दर बदर भटकने के लिए छोड़ दिया है। आगे चल कर ये हालात मर्कज़ और रियास्ती हुकूमत के लिए नाज़ुक बन जाएंगी। मेहनत कश और मज़दूर तबक़ा बेरोज़गार होगया है। इस के बावजूद कांग्रेस या मर्कज़ मसला तलंगाना पर सरगर्म मुशावरत की ख़बरें फैलाकर ज़ख़मों को मुंदमिल करने वाले बहाने तराश रहा है। किसी ताख़ीर के बगै़र इस मसला के ताल्लुक़ से फ़ैसला करने में क्या रुकावट है, कोई पेचीदगी या मुश्किल नहीं है। अगर मर्कज़ फ़ैसला करने का अज़म करले तो हर मसला हल होजाएगा। तलंगाना की तशकील से मसाइल खड़े होने की बात करने वाले परनब मुकर्जी को इस इलाक़ा के अहम मसाइल का इलम नहीं है। वो जिन मसाइल के खड़े होने की बात कररहे हैं इस से संगीन और नाज़ुक मसाइल से तलंगाना के अवाम गुज़श्ता 6 दहों से दो-चार हैं। मर्कज़ या रियास्ती हुकूमतों ने तलंगाना के लिए कोई राहत का काम नहीं किया। तलबा-ए-को रोज़गार नहीं दिया, कोई मालीयाती पिया केज नहीं, कोई पराजकटस नहीं, जो कुछ काम किए गए वो सब नुमाइशी साबित हुई। जिस के नतीजा में इलाक़ा तलंगाना अपनी पसमांदगी की आख़िरी सतह को पहूंच गया। अब तलंगाना के मुतालिबा के साथ हड़ताल करने वाले सरकारी मुलाज़मीन की कोई परवाह ना करके इलाक़ा में फ़ाक़ाकशी भूक मरी की नौबत लाई जा रही है। क्या मर्कज़ की ये ज़िम्मेदारी है कि वो मलिक के एक हिस्सा के अवाम की रोज़मर्रा ज़िंदगीयों को जहन्नुम ज़दा करदी। आम हड़ताल से हुकूमतों, ख़ानगी इदारों, आर टी सी, रेलवे को रोज़ाना हज़ारहा करोड़ का नुक़्सान होरहा है। अगर इस नुक़्सान का पहले ही अंदाज़ा करके तलंगाना के हक़ में मालीयाती पयाकीजस का ऐलान किया जाय और एक ख़ुशहाल रियासत की बुनियाद डाली जाती तो नुक़्सानात का तसव्वुर ही नहीं किया जा सकता था। मगर हुकूमत ने अलैहदा रियासत तलंगाना का जज़बा रखने वाले अवाम को सज़ा देने के लिए इस मसला को तूल दे कर उन का कचूमर निकालने का बंद-ओ-बस्त करदिया है। इस के बावजूद अवाम सरापा एहतिजाज हैं। इस एहतिजाज का उन के पास भरपूर जवाज़ है। ऐसे में तवानाई का बोहरान पैदा होता है तो ज़रई-ओ-सनअती शोबों को भी नुक़्सान होगा और ये नुक़्सान आहिस्ता आहिस्ता मईशत को निगल जाएगा। फिर आंधरा प्रदेश तरक़्क़ी की सफ़ से निकल कर पसमांदगी की गहिरी खाई में गिर जाएगा। इस का ज़िम्मेदार कौन कहलाएगा?