परनब मुकर्जी की ताईद ( समर्थन) यू पी ए या कांग्रेस की ताईद ( समर्थन) नहीं : शिवसेना

जनतादल (यूनाईटेड) की तरह एन डी ए की एक और हलीफ़ शिवसेना ने आज कहा कि परनब मुकर्जी को इसकी ताईद ( समर्थन) कांग्रेस या बरसर-ए-इक़तिदार (शासित) यू पी ए की ताईद ( समर्थन) नहीं क़रार दी जा सकती।

पार्टी के क़ाइद ( लीडर) राज्य सभा संजय रावत ने आज कहा कि परनब मुकर्जी की सदारती इंतिख़ाबात में हमारी ताईद ( मदद/ समर्थन) क़ौमी मुफ़ाद ( राष्ट्र के फायदे) में है।

कांग्रेस या यू पी ए की ताईद नहीं है। रावत ने कहा कि इन की पार्टी सदारती इंतिख़ाबात ( राष्ट्रपती चुनाव) को सियासत ( राजनीती) में घसीटना नहीं चाहती। इस का एहसास है की एक तज़ुर्बाकार क़ाइद ( नेता) जैसे कि परनब मुकर्जी हैं, सदर जमहूरीया ( राष्ट्रपती) की हैसियत से ज़रूरी हैं ताकि सयासी अदम इस्तिहकाम से गुरेज़ ( बचाव) किया जा सके।

बी जे पी की क़दीम तरीन नज़रियाती हलीफ़ शिवसेना पहली पार्टी थी, जिस ने एन डी ए की सफ़ें तोड़ कर सदारती इंतिख़ाबात में जनतादल (यूनाईटेड) की तक़लीद ( पैरवी) की थी। रावत ने जो पार्टी के तर्जुमान ( spokes person) भी हैं, इस सवाल के जवाब में कि परनब मुकर्जी का कल पर्चा नामज़दगी दाख़िल करते वक़्त उनकी पार्टी के क़ाइदीन ( लीडर) क्यों मौजूद नहीं थे और पार्टी कुहनामुशक (Ever experienced) क़ाइद ( लीडर) की दूसरी नामज़दगी की तजवीज़ पेश करने से क्यों क़ासिर रही, कहा कि शिवसेना ने परनब मुकर्जी की ताईद कोई तवक़्क़ुआत वाबस्ता करते हुए नहीं की है।

शिवसेना के सरबराह बाल ठाकरे का एहसास है की उसे आइन्दा सदर का मुत्तफ़िक़ा ( एक राय के) तौर पर इंतिख़ाब ( चुनाव) ज़रूरी है ताकि इस्तिहकाम (मजबूती, दृढ्ता) का वाज़िह पैग़ाम दिया जा सके। शिवसेना की जानिब से सदारती इंतिख़ाबात (राष्ट्रपती चुनाव) में एन डी ए से इख़तिलाफ़ ( गड़बड़) करने का ये दूसरा वाक़िया है।

गुज़शता सदारती इंतिख़ाबात ( पिछले राष्ट्रपती चुनाव) में भी शिवसेना ने एन डी ए से इख़तिलाफ़ ( गड़बड़) करते हुए यू पी ए की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल की इस बुनियाद पर ताईद की थी कि वो महाराष्ट्रियन हैं।