परवेज़ मुशर्रफ़ बहिफ़ाज़त पाकिस्तान वापसी के ख़ाहां

ईस्लामाबाद ०५ जनवरी (पी टी आई) पाकिस्तान को जारीया माह के अवाख़िर में अपनी वापसी के मंसूबा से क़बल साबिक़ सदर परवेज़ मुशर्रफ़ तवक़्क़ो है कि ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन सऊदी फ़रमांरवा शाह अबदुल्लाह बिन अबदुल अज़ीज़ से मुलाक़ात करेंगे।

इस मुलाक़ात के दौरान वो पाकिस्तान की सियोल और फ़ौजी क़ियादत से कामिल ज़मानत हासिल करने पर तबादला-ए-ख़्याल करेंगे कि इन की वतन वापसी के बाद उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया जाएगा। 68 साला परवेज़ मुशर्रफ़ उस वक़्त बर्तानिया और दुबई में जिलावतनी की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। वो 31 जनवरी को पाकिस्तान वापस होने का इरादा रखते हैं।

तवक़्क़ो है कि वो सऊदी फ़रमांरवा से 22 जनवरी को मुलाक़ात करेंगे और सदर-ए-पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी और फ़ौजी सरबराह जनरल इशफ़ाक़ परवेज़ क्यानी से मुकम्मल ज़मानत हासिल करने के बारे में तबादला-ए-ख़्याल करेंगे कि उन्हें पाकिस्तान पहूंचने पर गिरफ़्तार नहीं किया जाएगा। किसी भी जुर्म के लिए उन पर मुक़द्दमा दायर नहीं किया जाएगा और ना ही कोई इल्ज़ामात आइद किए जाएंगे।

साबिक़ सदर ने अमेरीका में भी सीनीयर ओहदेदारों से राबिता क़ायम किया है ताकि इस मसला पर बातचीत कर सकें। अमेरीकी पाकिस्तानी ताजिर रज़ा बुख़ारी जो परवेज़ मुशर्रफ़ के क़रीबी साथीयों में से एक हैं, तवक़्क़ो है कि ईस्लामाबाद में अमेरीकी सफ़ीर कैमरोन मनटर से मुलाक़ात करेंमे। ताकि इस बात को यक़ीनी बनाया जा सके कि साबिक़ फ़ौजी सरबराह को पाकिस्तान आने के बाद गिरफ़्तार नहीं किया जाएगा और ना उन पर कोई मुक़द्दमा बाज़ी होगी। सऊदी शाही ख़ानदान ने अक्सर पाकिस्तान की अंदरून-ए-मुल्क सियासत में एक मुसालहत कार का रोल अदा किया है।

सऊदी शाही ख़ानदान ने साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ की जिलावतनी और वतन वापसी का भी इंतिज़ाम करने में अहम रोल अदा किया था। 1999 में मुशर्रफ़ की जानिब से फ़ौजी बग़ावत के बाद उन्हें पाकिस्तान से ख़ारिज करदिया गया तो वो सऊदी अरब में पनाह दी गई। सऊदी शाही ख़ानदान ने पाकिस्तान के आला क़ाइदीन के दरमयान तनाज़आत की यकसूई में भी मदद की है।