बंगाल में पॉवर प्रोजेक्ट को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार (17 जनवरी) को हिंसक रूप ले लिया। बंगाल के परगना 24 में अब तक इस हिंसा में दो लोगों की मौत भी हो गई। 2013 में स्थानीय किसान पावर ग्रिड सबस्टेशन के निर्माण के लिए किसानों की जमीन छीने जाने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ था। पिछले 2 हफ्तो में पावर ग्रिड सबस्टेशन के काम में तेजी के बाद विरोध प्रर्दशन की आग और तेज हो गई थी।
प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई जिससे लोगों की जाने गई। वहीं पुलिस का कहना है कि उनकी तरफ से गोली चलाई ही नहीं गई। प्रदर्शन में शख्स की जान जाने के अलावा लगभग पुलिस की दस गाड़ियां भी आग के हवाले की गई। जिन लोगों की जान गई उसमें से एक का नाम मुफीजुल अली खान था। 26 साल का मुफीजुल कोलकाता के पास का ही रहने वाला था। हॉस्पिटल ने कहा कि मुफीजुल की पीठ पर गोली का जख्म मिला। मौत ही वजह ज्यादा खून बह जाना बताया गया।
प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि उनको जमीन का बाजार भाव नहीं मिला। लिहाजा किसान प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं और अपनी जमीन वापस मांग रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस के दो नेता अब्दुर रज्जाक मुल्ला और मुकुल रॉय को स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा गया था, लेकिन दोनों नेता प्रभावित इलाके में घुस नहीं पाए।
दूसरी ओर सोमवार को प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कालू शेख को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद मामला बढ़ गया। गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया और पुलिस को शेख को रिहा करना पड़ा।
पश्चिम बंगाल के ऊर्जा मंत्री सोवानदेब चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘मैंने पहले ही इस बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जानकारी दे दी है। प्रोजेक्ट पर दो हफ्ते पहले ही काम रोक दिया गया है, जब प्रदर्शनकारियों की मांग पर पहले ही विचार चल रहा है, तो हिंसा की ताजा घटनाएं क्यों हो रही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।’
पुलिस ने अपने बचाव में कहा है कि बेकाबू भीड़ ने उनकी लगभग दस गाड़ियों को आग लगा दी। पुलिस ने यह भी कहा कि गोलियां भी पुलिस ने नहीं बल्कि भीड़ की तरफ से ही चलाई गई थीं। पुलिस ने आगे बताया कि वह किसी बाहर के शख्स और माओवादी लोगों के शामिल होने के एंगल से भी मामले की जांच कर रही है।