नई दिल्ली, सदफ खान। दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे विश्व पुस्तक मेले में पश्चिम बंगाल उर्दू अकेडमी मौजूद है। यह अकादमी पश्चिम बंगाल की सरकार द्वारा चलाई जा रही है जिसके द्वारा पश्चिम बंगाल में उर्दू का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। खुद ममता बेनर्जी द्वारा लिखी किताब का अनुवाद इस अकादमी द्वारा किया गया है।
स्टाल पर खड़े अकादमी के सदस्य मुख़्तार अली ने बताया की हम इस के द्वारा लोगो तक उर्दू साहित्य पहुंचाना चाहते हैं। ममता बेनर्जी द्वारा 2011 में उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा का दर्ज़ा दिया गया था यहां तक की ममता बेनर्जी के कानूनी पत्र पर बाइज़्ज़त उर्दू में भी नाम लिखा गया है। मुनव्वर राणा, अल्लामा इक़बाल जैसे बड़े उर्दू साहित्य के लेखको की किताबें इस अकादमी द्वारा राज्य में प्रकाशित की गयी हैं।
अली ने आगे बताया की रबीन्द्रनाथ टैगोर की लेखनियों का अनुवाद उर्दू में प्रकाशित किया गया है ताकि उर्दू पढ़ने वाले लोग इसे पढ़ पाये।
वहीं इस अकादमी से जुड़े प्रो. अब्दुल हक़ साहब ने बताया की यह मुबारक मौक़ा है की पश्चिम बंगाल लगातार दूसरी बार इस मेले मे शिरक़त कर रही है और यह भी बेहद ख़ुशी की बात है की इस बार पहले के मुकाबले इनके पास उर्दू किताबो का ज़खीरा ज़्यादा है।
अब्दुल हक़ साहब ने आगे बताया की पश्चिम बंगाल में महिलाएं भी उर्दू साहित्य में पीछे नहीं है। हक़ साहब की बेटी आफरीन हक़ भी इसी ओर कार्यरत हैं और काफी बेहतरीन काम कर रही हैं।
अकेडमी की महिला सदस्य नुज़हत ज़ैनब ने बताया की हमारा लक्ष्य उस उर्दू साहित्य की कला को बाहर लाना है जो कही गुम हो गयी है साथ ही साथ कुछ नए लेखको को मौक़ा भी दे रहे हैं और इस अकैडमी में महिला या पुरुष के दरमियाँ कोई भेदभाव नहीं किया जाता हैं। बहुत बेहतरीन महिलायें भी आज पश्चिम बंगाल में उर्दू लेखनी में कार्यरत हैं।
इस अकादमी में बड़े लेखकों के साथ साथ छोटे छोटे कुछ ऐसे पश्चिम बंगाल के लेखक जो उर्दू में लगातार लिख रहे हैं और लगातार इस तरफ दिलचस्पी दिखा रहे हैं उन की किताबो को भी जगह दी गयी है। कुछ बांग्ला लेखकों के कलाम का उर्दू में अनुवाद कर के यहा पोस्टरों पर छापा गया है।