पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: TMC-BJP समर्थकों के बीच हिंसक झड़प

पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर पंचायत चुनावों से पहले हिंसा फैलाना का आरोप लगाया है. इस बीच सोमवार सुबह से चुनावों के लिए नामांकर की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन प्रक्रिया के दौरान आसनसोल और दुर्गापुर से हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं.

आसनसोल के बाराबोनी में नामांकन के वक्त टीएमसी समर्थकों पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के प्रस्तावक पर हमले का आरोप भी लगा. प्रस्तावक जब बीडीओ ऑफिस जा रहा था तभी कथित टीएमसी समर्थकों ने उसे वहां जाने से रोका और उसके साथ मारपीट भी की .

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक निर्दलीय उम्मीदवार पहले टीएमसी का ही नेता था लेकिन बाद में पार्टी छोड़ उसने निर्दलीय उम्मीदवार को तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि टीएमसी नेताओं ने हमले की खबरों को खारिज किया है.

उधर, दुर्गापुर में टीएमसी समर्थकों ने मीडियाकर्मियों पर भी हमला किया. टीवी चैनल का एक मीडियाकर्मी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया जिसे बाद में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. आरोप है कि जब पत्रकार बिकास सेन खबरें जुटा रहे थे तभी उनपर लाठी-डंडों से हमला किया गया. उनको बचाने गए अन्य मीडिया कर्मियों को भी निशाना बनाया गया. विभिन्न मीडिया संस्थानों को 7 लोग इस हमले में घायल हुए हैं.
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दुर्गापुर के लौदोहा इलाके में पंचायच चुनाव को लेकर तनाव है. बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो भी विरोध का सामना करना पड़ा. पार्टी उम्मीदवार के साथ नामांकन के लिए जाते वक्त उन्हें रास्ते में फरीजपुर ब्लॉक पर रोका गया. टीएमसी समर्थकों ने यहां सुप्रियो के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

बाबुल सुप्रियो ने पुलिस पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इलाके से जबरन बाहर निकाला गया. इसके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए बीजेपी समर्थकों ने भी अंदलग्राम में नेशनल हाईवे-2 को जाम कर दिया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि टीएमसी समर्थक उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल नहीं करने दे रहे हैं और बीडीओ ऑफिस का घेराव कर रखा है.

राज्य चुनाव आयोग ने कहा कि नामांकन के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस से सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध करने को कहा है. विपक्षी कांग्रेस और बीजेपी ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के ‘गुंडे’ सुबह से उनके उम्मीदवारों को आतंकित कर रहे हैं ताकि उनके उम्मीदवारों को नामांकन दस्तावेज दाखिल करने से रोका जा सके.