कोलकाता। मनमाना तरीके से इलाज खर्च वसूलनेवाले प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार सकरात्मक कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार तीन मार्च को विधानसभा में क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट बिल पेश करेगी। इस बिल के पेश होने से लापरवाही बरतने तथा इलाज खर्च को बढ़ा कर बिल देनेवाले अस्पताल प्रबंधन पर नकेल कसा जा सकेगा। वहीं इस बिल के पारित होने पर ऐसे अस्पतालों पर सरकार जुर्माना लगा सकती है।
राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों को फटकार लगाने के बाद इलाज खर्च बढ़ा कर पेश करनेवाले अस्पतालों की पोल खुलनी शुरू हो गयी है। अपोलो हॉस्पिटल पर एक बार फिर को बिल बढ़ा कर मरीज को परिजनों को सौंपने का आरोप लगा है।
दमदम के रहनेवाले कृष्णा शर्मा (12) के परिजनों का आरोप है कि छह से सात दिनों में कृष्णा का इलाज खर्च 6 लाख 45 हजार बताया गया है। परिजन अब अपने बच्चे को दूसरे अस्पताल में ले जा रहे हैं।
दूसरी ओर अब सीएमआरआइ अस्पताल पर भी चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप लगाये गये हैं। रूपम पाल नामक बच्चे को इलाज के लिए वहां भरती कराया गया था। रूपम ने गलती से एसिड पी लिया था। इलाज के लिए उसे 11 फरवरी को अस्पताल में भरती कराया गया था। इलाज खर्च 3 लाख 15 हजार रुपये बताया गया। वहीं मरीज के परिजन मात्र 2 लाख 40 हजार रुपये ही देने को तैयार थे।
इस बात को लेकर मरीज के परिजन व अस्पताल प्रबंधन के बीच कहा-सुनी भी हुई। पुलिस के पहुंचने पर मामला शांत हुआ। दूसरी ओर मल्लिक बाजार स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस में भी इसी तरह की एक घटना घटी। यहां सड़क हादसे में घायल शेख आमीर सोहेल को 30 जनवरी को भरती कराया गया था। वह तमलुक का रहनेवाला था. उसकी एक सर्जरी भी हुई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी।
अस्पताल ने उसके इलाज का लगभग 7 लाख 93 हजार रुपये का बिल दिया था। वहीं शनिवार देर रात मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों से इलाज खर्च की बकाया राशि लगभग दो लाख रुपये की मांग करने पर विवाद हुआ।
इलाज खर्च लिये बगैर प्रबंधन शव देने को तैयार नहीं था। परिजनों का आरोप है कि मृतक की चिकित्सा डॉ वी गोपाल कर रहे थे। मरीज की मौत से दो-तीन दिन पहले वह अस्पताल में मौजूद नहीं थे।इसके बाद भी इलाज खर्च में डॉ गोपाल के विजिटिंग चार्ज को जोड़ दिया गया था।