कलकत्ता हाई कोर्ट ने दुर्गा की मूर्तियों के विसर्जन पर लगाए गए अंकुश को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने मुहर्रम के चलते सरकार द्वारा मूर्ति विसर्जन के लिए तय किए गए समय को सरकार का मनमाना रवैया करार दिया। हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से साफ पता चलता है कि वह ‘अल्पसंख्यकों को रिझाने’ की कोशिश कर रही है। जस्टिस दीपांकर दत्ता की एकल बेंच ने 6 अक्टूबर को इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। बेंच ने सरकार के इस कदम पर फैसला सुनाते हुए कहा कि मौजूदा समय काफी मुश्किल है। ऐसे में धर्म और राजनीति को मिक्स करना बेहद खतरनाक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जाना चाहिए ,जिससे एक समुदाय, दूसरे के खिलाफ खड़ा हो। कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को मनमाना और तनाव बढ़ाने वाला बताया। कोर्ट ने कहा, ‘राज्य सरकार के इस फैसले से साफ है कि वह बहुसंख्यकों की कीमत पर अल्पसंख्यकों को खुश करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही सरकार ने अपने इस फैसले के पक्ष में कोई दलील भी नहीं दी है।’
इस साल विजयदशमी 11 अक्टूबर को है वहीं इसके अगले दिन ही मुहर्रम भी है। कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को मूर्ति विसर्जन और ताजिए के लिए रूट तय करने का आदेश दिया है। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि इससे पहले कभी भी विजयदशमी के दिन मूर्तियों के विसर्जन पर पाबंदी नहीं लगाई गई। ऐसे में ये फैसला पूरी तरह एक वर्ग से भेदभाव करने जैसा है।