कोलकाता। क्या पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल और कांग्रेस साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं? हाल ही में हुए घटनक्रमों को जोड़ें, तो इस बात के साफ संकेत नजर आते हैं। हालांकि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, क्योंकि अगले लोकसभा चुनाव में अभी काफी समय है।
दरअसल, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस और तृणमूल को एकजुट होने के लिए मजबूर कर दिया है। इसी मजबूरी ने हाल ही में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों के दौरान दोनों पार्टियों को हाथ मिलाने के लिए प्रेरित किया।
इसके बाद तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप भट्टाचार्य का समर्थन किया। पिछले महीने भी कुछ ऐसे ही संकेत मिले थे, जब भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए ममता ने कांग्रेा अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मिलकर महागठबंधन बनाने की घोषणा की थी।
बता दें कि कांग्रेस और वाम मोर्चा ने पिछले साल पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में गठजोड़ किया था। लेकिन ये गठबंधन कई मुद्दों की वजह से खटाई में पड़ गया है। भविष्य में कोई संभावना भी कांग्रेस और लेफ्ट के एक साथ आने की नजर नहीं आ रही है।
ऐसे में कांग्रेस के बंगाल में तृणमूल के साथ हाथ मिलाने की संभावना काफी बढ़ गई है। बंगाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता भट्टाचार्य भी लेफ्ट की बजाए तृणमूल से हाथ मिलाने पर जोर दे रहे हैं।
भट्टाचार्य कहते हैं, ‘देखिए, फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि क्या होगा? लेकिन ये सभी जानते हैं कि राजनीति कभी भी स्थिर नहीं होती। हमारा लेफ्ट के साथ गठबंधन था, लेकिन अब वे कह रहे हैं कि हमारे साथ मिलकर चलना उनके लिए मुश्किल है।
मुझे लगता है कि तृणमूल कांग्रेस का साथ वामपंथियों की तुलना में बेहतर है, जो गठजोड़ के मामले में कोई स्थिरता नहीं रखते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘अगर नंबर निर्णायक कारक है, तो तृणमूल के साथ गठबंधन करने में कोई बुराई नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से कम से कम 34-35 जीत लेंगे। मुझे लगता है कि तृणमूल, भाजपा से लड़ने के लिए एक बेहतर विकल्प है।
भट्टाचार्य ने यह भी दावा किया कि लोकसभा में कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी, यदि वे तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ मिलाती है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस यदि तृणमूल के साथ गठबंधन नहीं करती, तो प्रदेश में हम सिर्फ 3-4 सीटें ही जीत सकते हैं। लेकिन, अगर हम तृणमूल के साथ हाथ मिलाते हैं तो संख्या छह हो सकती है।