पश्चिम बंगाल: हिन्दूवादी संगठनों के जरिए खुद को मजबूत करने में जुटी बीजेपी को ममता बनर्जी नये तरीके से दे रहीं हैं मात!

कोलकाता। भाजपा की नजर पश्चिम बंगाल पर जम गई है। पश्चिम बंगाल में मिली दो सीटों को भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में दहाई अंक में पहुंचाना चाहती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत अन्य हिंदू संगठनों की मदद से भाजपा पश्चिम बंगाल में लगातार खुद को मजबूत करने में जुटी है।

इसका परिणाम भी पिछले कुछ चुनावी संग्राम में दिखा है। कांथी दक्षिण या फिर पिछले सप्ताह संपन्न सबंग विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ा है।

ये आंकड़ें तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता बढ़ाने वाले हैं। यही वजह है कि ममता भाजपा की चाल पर नया दांव आजमा रही हैं।

यह दांव हिंदू वोटों का धुव्रीकरण रोकने के साथ-साथ मुस्लिम वोट बैंक को साधे रखने की है। गुजरात चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला था। ममता भाजपा के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए खुद को सच्चा हिदू व हिंदू हितैषी साबित करने में जुटी हैं।

जब तारकेश्वर विकास बोर्ड गठित कर उसका अध्यक्ष शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम को बनाया गया तो मामले ने तूल पकड़ लिया। ममता जब पुरी गईं तो वहां जगन्नाथ मंदिर में उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा।

तब पहली बार ममता ने खुद को सच्चा हिंदू और भाजपा को पाखंडी से लेकर कई तरह की बातें कही थीं। वहीं से ममता ने खुद के मुस्लिम के साथ-साथ हिंदू हितैषी होने की बात शुरू कर दी थी।

ममता द्वारा हुगली जिले के तारकेश्वर मंदिर, बीरभूम जिले के तारापीठ मंदिर और महानगर के कालीघाट मंदिर का जीर्णोद्धार भी उनके बदले रुख का संकेत देता है। यह बात दीगर है कि मुसलमानों के धर्मस्थल फुरफुरा शरीफ के लिए वह पहले ही विकास बोर्ड गठित कर चुकी हैं।