पश्चिम बंगाल: 24 परगना के दंगा प्रभावित क्षेत्र में विस्थापित मुसलमानों की हालत बेहद ख़राब

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में मुहर्रम और दुर्गा पूजा के दिनों में हुए सांप्रदायिक हिंसा के बाद राजनीति का बाजार गर्म है। एक ओर जहां उग्रवादी दलों ने ममता बनर्जी पर मुसलमानों की खुशामद केलिए हिंदुओं पर ज़ुल्म ढाने और ‘सोनार बंगला’ को बंजर भूमि में तब्दील करने का आरोप लगाया है वहीं दंगा प्रभावित क्षेत्रों में बेघर हुए मुसलमानों में सरकार के प्रति गंभीर नाराजगी है,और उनकी हालत बेहद खस्ता है.

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उत्तरी 24 परगना के हाली नगर पालिका के मारवाड़ी कल और बिल्लौर पारा में हुए सांप्रदायिक झड़प की वजह से दर्जनों लोग बेघर हैं। कंगा नदी के किनारे बिल्लौर पारा जहां मुसलमानों की 30 से 40 घरों की आबादी है वहां के निवासी पिछले 6 दिनों से बेघर हैं और दहशत का आलम यह है कि पुलिस प्रशासन भी उन्हें घर में प्रवेश करने में मदद नहीं कर रही है।
यूएनआई के अनुसार बेघर हुए लोगों ने बताया कि वे स्थानीय प्रशासन,पार्षद,विधायक से मदद की अपील करते रहे मगर कोई मदद को सामने नहीं आया है।एक दिन बाद उन्हें कुछ स्थानीय नेताओं ने जिनका संबंध सत्तारूढ़ दल से है उनकी घर से बाहर निकलने में मदद की और कहा कि अगर वह अपनी जान बचाना चाहते हैं तो यहां से निकल जाएं। इसके बाद उनके घरों को लूट लिया गया और कुछ घरों में आग लगा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि हाजी नगर, मारवाड़ी कल और दंगा प्रभावित क्षेत्रों के स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये दंगे सत्तारूढ़ दल के नेताओं, आरएसएस और भाजपा की मिलीभगत का परिणाम है। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से ही सूचना थी कि इन क्षेत्रों में सांप्रदायिक तनाव होने वाली है मगर योमे आशुरा पर पुलिस बलों की व्यवस्था नहीं की गई और यह उसका ही नतीजा है .
कई राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर दिखलाया जा रहा है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में बसे मंदिर और हिंदुओं के घरों पर हमला किया गया है हालांकि युएनआई प्रतिनिधि को स्थानीय लोगों ने मुस्लिम बहुल आबादी में बसे मंदिर को दिखलाया जो पूरी तरह से सुरक्षित था। कुछ मुस्लिम युवकों ने बताया कि उन्होंने मंदिर की सुरक्षा और पक्ष विरोधी की बमबारी के जवाब में मन्दिर पर हमला करने से न केवल रोका बल्कि मुस्लिम युवकों ने रक्षा भी की। हरेंद्र सिंह नामक एक दुकानदार ने बताया कि उनकी दुकान सुरक्षित है और मुस्लिम लड़कों की वजह से ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल सांप्रदायिक हिंसा फैलाकर राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। मारवाड़ी कल में पूर्व उप चेयरमैन इरशाद अहमद, मास्टर निजामुद्दीन ने बताया कि वे यहां के स्थानीय हिन्दुओं के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ बाहरी ताकतें फसाद पैदा करने पर तुली हुई हैं और ऐसे लोगों को सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का समर्थन हासिल है।