पसमांदा मुसलमानों के लिए तहफ़्फुज़ात को रहमान ख़ान की ताईद

नई दिल्ली, ३१ अक्टूबर (पीटीआई) नए मर्कज़ी वज़ीर ( केंद्रीय मंत्री) बराए अक़लीयती उमूर ( Minority Affairs Minister ) के रहमान ख़ान ने पुरज़ोर अंदाज़ में पसमांदा मुसलमानों और ईसाई-ओ-मुस्लमान दलितों के लिए तहफ़्फुज़ात की भरपूर ताईद की। सुप्रीम कोर्ट के ज़ेली कोटा के मसले पर तब्सिरा का लिहाज़ किए बगै़र मर्कज़ी वज़ीर-ए-अक़लीयती उमूर ने कहा कि वो औक़ाफ़ के इंतिज़ामीया में मुल्क गीर सतह पर इस्लाहात करना चाहते हैं।

इस मक़सद के लिए वो तरमीमी मुसव्वदा ( प्रारूप) क़ानून पार्लीमेंट के सरमाई इजलास में मंज़ूरी के लिए पेश करेंगे। रहमान ख़ान ने कल ही वज़ारते अक़ल्लीयती उमूर का ओहदा सँभाला है। उन्होंने पी टी आई से कहा कि हालाँकि तहफ़्फुज़ात (reservation) लाज़िमी नहीं हैं, लेकिन ये ऐसे अवाम का हक़ हैं जो पसमांदा हैं या तास्सुब (धार्मिक या अनुचित पक्षपात) का शिकार रह चुके हैं।

अदालत के मुख़ालिफ़ाना फ़ैसले की जो मुसलमानों के लिए 4.5 फ़ीसद ज़ेली कोटा के बारे में दिया गया था, रहमान ख़ान ने एतिमाद ज़ाहिर किया कि ये अहकाम सिर्फ़ बाअज़ टेक्नीकी कोताहियों का नतीजा हैं, जो हुकूमत की जानिब से की गई हैं। इन का मतलब ज़ेली कोटा को मुस्तर्द ( रद्द) कर देना नहीं है।

अक़ल्लीयतों के ज़ेली कोटा को आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट में मुस्तर्द किए जाने के मसला पर रहमान ख़ान ने कहा कि ये ग़लतफ़हमी है कि अदालत ने मुसलमानों के लिए ज़ेली कोटा मुस्तर्द कर दिया है। अदालत ने सिर्फ ये कहा है कि जो तरीका-ए-कार इख़तियार किया गया था ताकि पसमांदगी का ताय्युन किया जा सके, वो इतमीनान बख्श नहीं है।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक और केरला में अक़ल्लीयतों ( अल्पसंख्यको) के लिए तहफ़्फुज़ात ( आरक्षण/ reservation) मौजूद हैं। कर्नाटक में तहफ़्फुज़ात तफ़सीली सर्वे का नतीजा हैं, जो मुसलमानों की पसमांदगी (लाचारी) के ताय्युन के लिए किए गए थे। उन्होंने एहसास ज़ाहिर किया कि बाअज़ तकनीकी कोताहिया हैं, जिन की सुप्रीम कोर्ट और आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट के फ़ैसलों में निशानदेही की गई है।

मर्कज़ी वज़ारत अक़ल्लीयती उमूर ( Minority Affairs Minister ) इन फ़ैसलों का गहरी नज़र से जायज़ा लेगी और उन तकनीकी वजूहात का ताय्युन करेगी, जिन पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसला में एतराज़ किया गया है।