पहली सलीबी जंग

970 के इबतिदा ही से नसारा ने स्पेन में मुसल्मानों के ख़िलाफ़ शदीद और मुसल्लह लडाइयों का सिल्सिला शुरू कर दिया था, जो ग्यारहवीं सदी ईसवी के आग़ाज़ में यहां से अम्वी हुकूमत के सुकूत के साथ ख़त्म हुआ। अम्वी हुकूमत के सुकूत और पाप बीनडीकट सामिन (आठवां) की बराह-ए-रास्त दिलचस्पी ने यूरोप के हुकमरानों और ईसाई पादरीयों के हौसलों को बुलंद कर दिया और उन सब ने मिल कर सिसली और सरोदीनया पर हम्ला कर दिया।
बैत-उल-मुक़द्दस को फ़तह करने के लिए यूरोप से निकल्ने वाले पहले सलीबी लश्कर की क़ियादत जाड फ़्री आफ़ ब्वीलन ने की और इस फ़ौज में छः लाख सिपाही थे और इस ने जुलाई १०९९-ए-को बैत-उल-मुक़द्दस पर क़ब्ज़ा करलिया और इस तरह जोड फ़्री बैत-उल-मुक़द्दस का पहला ईसाई गवर्नर हुआ।

जोड फ़्री ने अपने आप को कनसीह क़याम का मुहाफ़िज़ और मशरिक़ में आबाद ईसाईयों को मुसल्मानों के मज़ालिम से नजात दिलाने वाला मसीहा क़रार दिया, लेकिन कनसीह क़याम तक पहुंचने के लिए इस ने ख़ून की नदियां पार कीं और एक दो नहीं सत्तर हज़ार मुसल्मानों का ख़ून बहाया, जिन्हों ने इस शहर की तक़दीस की हिफ़ाज़त की कोशिश की। इस तरह इस ने रास्ते में आने वाली मुस्ल्मानों की हर चीज़ को जलाकर राख कर दिया। इस की नज़र में मुस्लिम औरतें, बच्चे और बूढ़े भी अल्लाह के दुश्मन थे।