पहाड़ी शरीफ दरगाह की सीढ़ियों पर साइबान का वादा वफ़ा ना हो सका

नुमाइंदा ख़ुसूसी-हैदराबाद की शोहरत और अज़मत का बाइस जहां उस की सुनहरी तारीख , क़दीम और इस्लामी तर्ज़ तामीर की शाहकार इमारतें हैं , वहीं बुज़ुर्गान दीन और उन के आस्तानों की वजह से पूरी दुनिया बिलख़सूस हिंदूस्तान में उसे तक़द्दुस-ओ-एहतिराम और इज़्ज़त-ओ-क़दर की निगाह से देखा जाता है । बड़े बड़े औलिया-ए-अल्लाह का ये शहर मस्कन रहा है । आज भी अपने वक़्त के बुलंद पाया बुज़ुर्गान-ए- दीन उस की ख़ाक के नीचे आराम फ़र्मा हैं ।

दक्कन के बुज़ुर्गान दीन की एक लंबी फ़हरिस्त है जिन्हों ने मर्कज़ इस्लामी से दूर दराज़ इस ख़ित्ते में रुशद-ओ-हिदायत के चिराग़ रोशन किये , इन बुज़ुर्गान दीन में से हर एक अपने वक़्त में आफ़ताब-ओ-महताब रहे हैं । उन्ही इबाद सालहीन में से सुलतान उल आरफ़ीन हज़रत सैयदना बाबा शरफ़ उद्दीन क़िबला सुह्रवर्दी (र) हैं । आप की ज़ात बा बरकात तआरुफ़ की मुहताज नहीं , कौन है पूरे दक्कन में एक किनारे से लेकर दूसरे किनारे तक जो आप से और आप की दरगाह शरीफ से नावाक़िफ़ और बे बहरा हो ,

बल्कि आप की शोहरत सिर्फ एक तबक़ा तक महदूद नहीं है , बेला इख़तिलाफ़ मज़ाहिब-ओ-मसालिक रंग-ओ-नसल हर एक आप का शैदाई नज़र आता है । आप की दरगाह शरीफ , पहाड़ी शरीफ में मुख़्तल मज़ाहिब और मुख़्तलिफ़ इलाक़ों के लोग दस्त बस्ता नज़र आते हैं । आप अपने वक़्त के इन बुलंद पाया बुज़ुर्गान-ए- दीन में से थे जिन्हों ने दक्कन में इस्लाम की तब्लीग़-ओ-तरवीज के लिए बेइंतिहा मशक़्क़तें बर्दाश्त कीं और आप के दस्त मुबारक पर लाखों बंदगान ख़ुदा ने बैअत की और हिदायत के रास्ते को तै क्या ।

आप के फ़ैज़ बाअसर से अल्लाह के बंदों की एक बहुत बड़ी जमात मुस्तफ़ीद हुई । आप हमावक़त सहीह इस्लामी तालीम के लिए कोशां रहते , लोगों के अंदर बढ़ती हुई बेराह रवी और गैर इस्लामी रस्म-ओ-रिवाज आप के लिए बहुत तकलीफ का बाइस हुई । आप का आस्ताना मुबारक पहाड़ी शरीफ इलाक़ा में वाक़ै है । बड़े बुज़ुर्गों के मुताबिक़ ये दरगाह शरीफ ज़मीन से तक़रीबा 400 फुट की बुलंदी पर वाक़ै है । इस तक पहुंचने और हाज़िरी के लिए लंबी सीढ़ियां तै करनी पड़ती हैं ।

जिसे ज़ाइरीन , मातक़दीन और आशक़ीन औलिया-ए-अल्लाह हंसी ख़ुशी पार कर लेते हैं । ये तवील तरीन रास्ता 360 सीढ़ियों पर मुश्तमिल है । ज़ाइरीन की कसरत और उन को दरपेश मसाइल की वजह से 28 जून 2010 – -को रियासती हुकूमत ने इस दरगाह शरीफ की जुमला 360 सीढ़ियों पर साइबान डालने के लिए 16 लाख रुपये मंज़ूर किए थे ।

दरगाह शरीफ के ज़ाइरीन पहाड़ी शरीफ , शाहीन नगर , एरा कुनटा और कोत्ता पेट के समाजी कारकुनों ने इस हवाले से हुकूमत से नुमाइंदगी की थी , जिस पर बरसर-ए-इक्तदार हुकूमत की एक वज़ीर ने दरगाह शरीफ का बनफ़स नफीस दौरा कर के इस मंसूबा का ऐलान किया था ताकि बारिश और धूप से ज़ाइरीन को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम किया जा सके ।नीज़ मिनिस्टर ने मंसूबा को जल्द अज़ जल्द मुकम्मल करने के लिए ओहदेदारों को हिदायत भी जारी की थी ।

लेकिन आज पूरे दो साल में भी ये वाअदा वफ़ा ना होसका । आज भी यहां ज़ाइरीन रोज़ाना सैंकड़ों की तादाद में नियाज़ और फ़ातिहा ख़वानी के लिए आते हैं । धूप की शिद्दत और सख़्त गर्मी की वजह से उन सीढ़ियों को पारकर के दरगाह शरीफ की हाज़िरी लोगों के लिए एक मसला बन गई है । धूप की ताब ना लाकर ज़ाइरीन पर ग़शी तारी होजाती है । थोड़ी थोड़ी दूरी पर वक़फ़ा वक़फ़ा से वो बैठ कर उन सीढ़ियों को पार करते हैं ।

अगर हुकूमत की जानिब से किया गया वाअदा पूरा होजाता तो अवाम के लिए बड़ी सहूलत का बाइस होता । आख़िर क्या वजह है कि साइबान का ये ऐलान सिर्फ़ वाअदा तक ही महदूद हो कर रह गया ? इस सवाल को हल करने के लिए जब हम नेमुक़ामी अफ़राद से गुफ़्तगु की तो सैयद अमजद नामी एक गुल फ़रोश ने कहा कि हम ने इस ऐलान को कभी संजीदा नहीं लिया । एक सयासी शख्सियत के ऐलान करने से ही हमें यक़ीन होगया था कि ये काम होने वाला नहीं ।

और एक गुल फ़रोश चांद पाशाह ने बताया कि जब इस पर अमल करना ही नहीं था तो वाअदा की ज़रूरत क्या पड़ी थी इतनी बड़ी बुज़ुर्ग हस्ती के साया में ठहर कर वाअदा कर के ख़ामोश बैठ जाना कहां तक दरुस्त है । बुज़ुर्गों के साथ इस तरह हरकत नहीं करना चाहीए । ये हुकूमत दीगर स्कीमों में तो वाअदे तक महदूद ही है । लेकिन बुज़ुर्गों के नाम पर एसा करना बिलकुल दरुस्त नहीं है ।

वाज़िह रहे कि दरगाह शरीफ के तहत जुमला 23 सौ एकड़ दर्ज वक़्फ़ अराज़ी थी जिस में 1050 एकड़ इंटरनेशनल एयर पोरट के लिए नाजायज़ तौर पर हासिल करली गई जिस के इव्ज़ में दो साल कब्लवाई एस आर ने पहली क़िस्त के तौर पर 50 एकड़ अराज़ी वक़्फ़ बोर्ड के हवाले की और दूसरी क़िस्त के तौर पर 35 एकड़ अराज़ी 8 अप्रैल को वज़ीर अकलियती बहबूद जनाब अहमद उल्लाह ने वक़्फ़ बोर्ड के हवाले की ।

जब कि हम ने पिछली रिपोर्ट में वाज़िह किया था कि इस 35 एकड़ अराज़ी पर 60 साल से ग़ैरों का क़बज़ा है और क़ाबज़ीन का कहना है कि वक़्फ़ बोर्ड को ये ज़मीन आसानी से नहीं देंगे । अक़लियत दोस्त और सैक़्यूलर जमात का नारा दे कर अक़लीयतों का वोट हासिल करने वाली हुकूमत की असल हक़ीक़त ये है कि इन ओक़ाफ़ी अराज़ी की एक लंबी फ़हरिस्त है जिस पर हुकूमत क़ाबिज़ है ।

हम से लिया किया गया और दिया किया गया क्यों इस तरह का भोंडा मज़ाक़ किया जा रहा है । जिस वक़्त दरगाह शरीफ की सीढ़ियों के लिए 16 लाख रुपय का ऐलान हुआ था उस वक़्त गली के लीडर से लेकर दिल्ली के लीडर तक तस्वीरें खिंचवा कर ऐलान कररहे थे कि हमारी ही नुमाइंदगी की वजह से ये हुआ है लेकिन आज वो तमाम लीडरान कहां ग़ायब होगए इस ऐलान के साथ शाहीन नगर और इस के मुल्हिक़ा इलाक़ों में पानी की सरबराही को यक़ीनी बनाने के लिए 50 लाख रुपये मंज़ूर किए गए थे ।

आज तक इस ऐलान पर भी कोई अमल नहीं होसका जब कि हैदराबाद सिकंदराबाद में सब से ज़्यादा पानी की परेशानी उन्ही इलाक़ों में है । आज तक यहां के लोग पानी खरीद कर इस्तिमाल करते हैं अवाम के साथ साथ बुज़ुर्गान दीन के साथ मज़ाक़ किया जाना इंतिहाई काबिल-ए-अफ़सोस है ।।