पाँच पाकिस्तानी ख़तरनाक दहश्तगर्द नहीं बल्कि मामूली अफ़राद

मुंबई नई दिल्ली। इंट‌ली जन्स ब्यूरो की तरफ़ से हाल ही में(अभी अभी) जारी करदा(किये गए) एक दहश्तगर्दी अलर्ट के नतीजें में 2008 के मुंबई दहश्तगर्द हमलों की यादें ताज़ा होगईं और माज़ी का(पीछला) वो मंज़र याद आ गया जिस में मुंबई पाकिस्तानी दहश्तगरदों के नरग़ा में महसूर होगया था(कब्जे में आ गया था)।

इंट‌ली जन्स ब्यूरो ( आई बी ) ने अपने ज़राए से मौसूला खु़फ़ीया इत्तिलाआत(मीली हुइ गुप्त खबरों) की बुनियाद पर(कि वजह से) कहा था कि लश्कर‍ ए‍ तैय‌बा के पाँच कारिंदे जिन की उम्र 25 से 30 साल के दरमयान हैं जाली शनाख़ती कार्ड(बनावटी पहचान पत्र) के साथ हिंदूस्तानी शहरों में दाख़िल हो सकतेहैं और महाराष्ट्रा-ओ-गुजरात में कई हस्सास(बहुत हि अहम) तंसीबात को अपने हमलों का निशाना बना सकते हैं।

आई बी की ये खु़फ़ीया मालूमात इस लिए भी किसी हद तक मोतबर नज़र आइं कि अलर्ट नोटिस के साथ पाँच नौजवानों की रंगीन तसावीर की गशत भी करवाई गई(शाये कि गइ थी) लेकिन उन की तफ़सीलात-ओ-शनाख़्त(पहचान) ज़ाहिर नहीं की गई थी।इस बुनियाद पर(वजह से) सेक्युरीटी एजंसीयों ने फ़ौरी चौकसी इख़तेयार करली थी और मीडीया ने पाँच हलाकू नौजवानों की तस्वीरों को पूरे जोश-ओ-ख़रोश के साथ बढ़ा चढ़ा कर पेश किया बिलखुसूस इलेक्ट्रानिक‌ मीडीया ने सब पर सबक़त लेने की(सब से आगे बढ जाने कि) कोशिश की। लेकिन जुमेरात(गुरुवार) को पाकिस्तान के सरकर्दा(मश्हुर) अख़बारात जैसे डॉन और एक्सप्रेस ट्रीबीवन ने हिंदूस्तानी सेक्युरीटी इदारों का खुल कर मज़ाक़ उड़ाया और दावा किया कि तसावीर में ज़ाहिर किए जाने वाले दो ख़तरनाक दहश्तगर्द पाकिस्तान में मामूली दुकान्दार हैं और एक लाहौर में सेक्युरिटी गार्ड है और उन में से किसी ने भी कभी बैरून-ए-मुल्क(मुल्क से बाहर) सफ़र नहीं किया।

चुनांचे इस वाक़िया ने ज़ाहिर कर दिया है कि इंट‌ली जन्स ब्यूरो ( आई बी ) ने ग़लत इत्तिलाआत की बुनियाद पर ग़ैर ज़रूरी सेक्युरिटी अलर्ट जारी कर दिया था।इस से बदतर(बुरि) और क्या चीज़ हो सकती है कि इस सारे अमल ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सरहद पार दहश्तगर्दी से मुताल्लिक़ हिंदूस्तान के दावा को कम्ज़ोर कर दिया ।

लेकिन आई बी के साबिक़(पुर्व) सरबराह अजीत डोवल ने कहा कि ये कहना बजा(ठीक) ना होगा कि आई बी ने ग़लत चौकसी नोटिस दी थी और उन्हों ने पाकिस्तान के बारे में शुकूक-ओ-शुबहात का इज्हार(को जाहिर) किया और दरयाफ़त किया(पूछा) कि इस बात की क्या ज़मानत है कि पाकिस्तान झूट नहीं कह सकता।

अलर्ट नोटिस जारी करने के चंद पैमाने हैं और ये मोतबर मालूमात जमा होने के बाद ही जारी की जाती है चुनांचे उस को अहमक़ाना(बे वकुफो जैसा) इक़दाम या लग़्ज़िश(चुक) नहीं क़रार दिया(कहा) जा सकता।

मिस्टर डोवल ने कहा कि अगर इस के बाद कार्रवाई की जाती या बेक़सूर अफ़राद को गिरफ़्तार किया जाता तो ये ज़रूर ग़लती हो सकती थी लेकिन अलर्ट नोटिस जारी करना कोई लग़्ज़िश नहीं है।आई बी की इस लग़्ज़िश(चुक) ने पड़ोसी मुल्क को हिंदूस्तान पर हँसने और इस का मज़ाक़ उड़ाने का सामान फ़राहम कर दिया(दिया) है।

डॉन और एक्सप्रैस ट्रीबीवन ने इस ग़लत अलर्ट पर हिंदूस्तानी हुकूमत की ख़ूब मुज़म्मत(बुराइ) की है और कहा कि आतिफ़ बट और महताब बट लाहौर के मार्केट में मोबाईल फ़ोन फ़रोख़त करते(बेच्तें) हैं जबकि बाबर शब्बीर एक सेक्युरीटी गार्ड है जिस के पासपोर्ट भी नहीं है।

हिंदूस्तानी टेलीविज़न चैनलों पर बार बार अपनी तसावीर देखने के बाद ये तीनों पाकिस्तानी हैरत-ओ-सनसनी का शिकार होगए क्यों कि उन्हें ख़ौफ़नाक दहश्तगरदों की हैसियत से दिखाया जा रहा था। पंद्रह रोज़ क़ब्ल(पहले) मर्कज़ी मोतमद दाख़िला आर के सिंह ने बाहमी मुज़ाकरात(आपसी बात चित) के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था, वज़ारात-ए-दाख़िला(गुह मंत्रालय) ने किसी भी किस्म की लग़्ज़िश(चुक) की तरदीद( रद) की है।