पाँच रियास्तों में इंतिख़ाबात

इलैक्शन कमीशन की जानिब से मुल़्क की पाँच रियास्तों में असैंबली इंतिख़ाबात का ऐलान करदिया गया ही। शैडूल के मुताबिक़ मुल़्क की सब से बड़ी रियासत उत्तरप्रदेश में सात मराहिल में वोट डाले जाऐंगे जबकि दीगर चार रियास्तों पंजाब उत्तराखंड मनिपुर और गोवा में एक ही मरहला मैं इंतिख़ाबी अमल को मुकम्मल कर लिया जाएगा ।

यू पी चूँकि मुल़्क की सब से बड़ी रियासत है इस लिए वहां सात मराहिल में इंतिख़ाबात का ऐलान किया गया है और हर मरहला केलिए अलग अलग आलामीया भी जारी कियाजाएगा। इलैक्शन कमीशन की जानिब से इंतिख़ाबी शैडूल के ऐलान के साथ ही इन रियास्तों में और ख़ुद मर्कज़ी हुकूमत पर भी इंतिख़ाबी ज़ाबता अख़लाक़ का नफ़ाज़ होचुका है ।

अब इन रियास्तों में हुकूमतें किसी स्कीम वग़ैरा का ऐलान नहीं कर सकतीं और आली ओहदेदारों के तबादलों केलिए भी इलैक्शन कमीशन से राबिता करना पड़ेगा । दीगर रियास्तों के इंतिख़ाबात भी अपनी अपनी जगह एहमीयत के हामिल हैं लेकिन मुल़्क की सयासी नहज का ताय्युन करने केलिए सब से अहम उत्तरप्रदेश के इंतिख़ाबात हैं जहां कांग्रेस पार्टी अपने युवराज राहुल गांधी के कंधों पर सवार होकर इक़तिदार की कुर्सी तक पहूंचने की जद्द-ओ-जहद कर रही है ।

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने वैसे तो उत्तरप्रदेश में दो साल पहले से ही अमला अपनी इंतिख़ाबी मुहिम का आग़ाज़ कर दिया था ।अब इंतिख़ाबी शैडूल सामने आचुका है । उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के युवराज का मुक़ाबला समाजवादी पार्टी के युवराज अखिलेश सिंह यादव से क़रार दिया जा रहा है जो मुलाइम सिंह यादव के फ़र्ज़ंद हैं।

वैसे तो दोनों का तक़ाबुल दरुस्त नहीं है लेकिन मुक़ामी सतह पर दोनों की मक़बूलियत से इनकार नहीं किया जा सकता । राहुल गांधी को ये फ़ायदा हासिल रहा कि मर्कज़ में इन की हुकूमत रही जो उन के मंसूबों के मुताबिक़ असकीमात और प्रोग्राम्स का ऐलान करती रही । अखिलेश को ये सहूलत हासिल नहीं हुई क्योंकि रियासत में इन की पार्टी अपोज़ीशन में है ।

राहुल गांधी की मुहिम को तक़वियत और इस्तिहकाम बख़शने के मक़सद ही से मर्कज़ ने गुज़शता दिनों ओ बी सी तबक़ात को दिए जाने वाले 27 फ़ीसद कोटा में अक़ल्लीयतों केलिए 4.5 कोटा मुख़तस करने का ऐलान किया था । इस का मक़सद यू पी में मुस्लमानों के वोट हासिल करना था ।

सयासी जमातों की पालिसीयों और हिक्मत अमलियों का मक़सद-ओ-मंशा सिर्फ और सिर्फ राय दहिंदों के वोट हासिल करना होता है । इस के बाद ये जमातें फिर अपनी मसरुफ़ियात में मगन होजाती हैं। जहां तक शैडूल का सवाल है उत्तरप्रदेश में सात मराहिल में इंतिख़ाबात का ऐलान किया गया है । ये शैडूल काफ़ी तवील है ।

ये हक़ीक़त है कि उत्तरप्रदेश मुल़्क की सब से बड़ी रियासत है लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं कि वहां इंतिख़ाबात करवाने केलिए सात मराहिल दरकार हूँ । हालिया अर्सा में ये देखा गया है कि जिस किसी रियासत में ज़्यादा मराहिल में इंतिख़ाबात करवाए गए वहां हुकूमतों को नुक़्सान हुआ है और अप्पोज़ीशन जमातें इक़तिदार हासिल करने में कामयाब हुई हैं।

उत्तरप्रदेश का शैडूल भी अगर किसी सयासी दबाव के तहत इसी मक़सद के तहत तैयार किया गया है तो ये जमहूरी अमल केलिए मुज़िर और नुक़्सानदेह कहा जा सकता है । अगर किसी दबाव के बगै़र और सिर्फ आज़ादाना और मुंसिफ़ाना राय दही को यक़ीनी बनाने केलिए ज़्यादा मराहिल का फ़ैसला किया गया तो भी ये मुल़्क की इंतिज़ामी मिशनरी केलिए सवालिया निशान है ।

ज़्यादा मराहिल में इंतिख़ाबात का ऐलान ये ज़ाहिर करता है कि हिंदूस्तान में इंतिज़ामी मिशनरी एक बड़ी रियासत में एक या दो मराहिल में या तीन मरहलों में भी इंतिख़ाबात करवाने के मौक़िफ़ में नहीं है । ऐसी सूरत-ए-हाल में जबकि आम इंतिख़ाबात नहीं हो रहे हैं और मुल़्क की सिर्फ पाँच रियास्तों में इंतिख़ाबात हो रहे हैं वो भी सिर्फ असेम्बलियों के लिए तो ना सिर्फ रियास्ती पुलिस फोर्सेस बल्कि मर्कज़ी सिक्योरिटी दस्ते भी इलैक्शन कमीशन को ज़रूरत के एतबार से दस्तयाब होने में कोई मुश्किल पेश नहीं आ सकती थी ।

ऐसी सूरत में दो या तीन मराहिल पर ही इकतिफ़ा किया जा सकता था जो इन रियास्तों के अवाम केलिए भी बेहतर होता । सयासी जमातों को भी ज़्यादा तोड़ जोड़ करने और एक मरहला में कमज़ोर होने के बाद दूसरी मरहला में पैसा और शराब की ताक़त का इस्तिमाल करने का मौक़ा नहीं मिलता । नस्बता कम मराहिल में राय दही के ज़रीया इंतिख़ाबात के इनइक़ाद पर होने वाले सरकारी अख़राजात को भी कम करने में शायद मदद मिल सकती थी और इंतिख़ाबात के ताल्लुक़ से तजस्सुस भी कम हो सकता था ।

अब जबकि इलेक्शन कमीशन की जानिब से इंतिख़ाबात का ऐलान होचुका है और सात मराहिल तए होचुके हैं तो कमीशन की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि वो इन इंतिख़ाबात को आज़ादाना और मुंसिफ़ाना बनाने पर ख़ास तवज्जा करे । कमीशन की जानिब से जिन इक़दामात का ऐलान किया जा चुका है उन पर पूरी सख़्ती से अमल आवरी होनी चाहीए ।

सयासी जमातों को पैसे और ताक़त के इस्तिमाल से बाज़ रखने के लिए खासतौर पर तवज्जा दी जानी चाहीए क्योंकि अक्सर-ओ-बेशतर दूर दराज़ के मुक़ामात पर वाक़्य बोथस पर क़ब्ज़ों की शिकायात मिलती हैं। इस के इलावा खासतौर पर उत्तरप्रदेश में इंतिख़ाबी तशद्दुद को रोकने केलिए ख़ुसूसी इंतिज़ामात किए जाने चाहिऐं।

उत्तरप्रदेश और बिहार ऐसी रियास्तें हैं जहां इंतिख़ाबी तशद्दुद में इंसानी जानों का इत्तिलाफ़ भी होता रहा है । अब इस सिलसिला को रोकने केलिए इक़दामात किए जाने चाहिऐं । इलैक्शन कमीशन को अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ मर्कज़ी नियम फ़ौजी दस्तों की ख़िदमात हासिल रहेंगी जिन्हें मुनासिब और मूसिर अंदाज़ में इस्तिमाल करते हुए इन इंतिख़ाबात को तशद्दुद से पाक और फ़ी अलवा कई आज़ादाना और मुंसिफ़ाना बनाने पर तवज्जा मर्कूज़ की जानी चाहीए ।