पाँच रियास्तों में मुख़ालिफ़ हुक्मरानी लहर

`पाँच रियास्तों के असेंबली इंतेख़ाबात में हुक्मराँ पार्टीयों को इस मर्तबा मुख़ालिफ़ वोट मिलने वाले हैं। पंजाब में शिरोमणि अकाली दिल को बी जे पी इत्तेहाद की सज़ा मिलेगी तो मुल़्क की बड़ी रियासत यूपी में मायावती ज़ेर क़ियादत बहुजन समाज पार्टी पर से दलित वोट बैंक का ख़ुमार ख़तम होगा। उत्तराखंड, गोवा और मनीपुर में भी राय दहिंदों ने इस मर्तबा अपने इंतेख़ाबी शऊर का सबूत देने का फ़ैसला किया है। मर्कज़ की हुक्मराँ कांग्रेस पार्टी को यूपी और पंजाब में मुख़ालिफ़ हुकूमत लहर से फ़ायदा उठाने की कोशिश करते देखा जा रहा है।

मगर उस को माज़ी की ख़राबियों ने राय दहिंदों तक पहूंचने में रुकावट पैदा कर दी है। कांग्रेस के अरकान आम इंतेख़ाबात के दौरान इतने मुँह फट हो जाते हैं कि वो मुख़ालिफ़ीन पर शदीद तन्क़ीदें करते हैं। यू पी ए हुकूमत के पहले दौर में होने वाली मआशी तरक़्क़ी को ही अपना इंतेख़ाबी मौज़ू बनाकर मुहिम चलाने वाली कांग्रेस , यू पी ए के दूसरे दौर की ख़राबियों को ज़्यादा से ज़्यादा पोशीदा रखने की कोशिश कर रही है।

उत्तराखंड में 2009 के आम इंतेख़ाबात में कांग्रेस को अगर चीका तमाम पाँच लोक सभा नशिस्तों पर कामयाबी हासिल हुई थी मगर असैंबली इंतेख़ाबात में उसे सख़्त आज़माईश से गुज़रना पड़ेगा। वो यहां बी जे पी के ख़िलाफ़ मुख़ालिफ़ हुक़्मरान लहर का फ़ायदा उठाना चाहती है अगर बी जे पी ने यहां अपनी बक़ा के लिए जद्द-ओ-जहद शुरू करदे तो मुख़ालिफ़ हुक्मरानी लहर को नाकाम बनाने में कामयाब होगी।

कांग्रेस की ख़राबी ये है कि जिन रियास्तों में अहम इंतेख़ाबात हो रहे हैं वहां वो बुरी तरह मुनक़सिम है इस के क़ाइदीन एक दूसरे से ही नबरदआज़मा हैं। रियास्ती सतह पर कांग्रेस को मर्कज़ की यू पी ए हुकूमत के दूसरे दौर की नाकामियों का बोझ उठाए इंतेख़ाबी मुहिम चलाना है। इस लिए इलाक़ाई पार्टी क़ाइदीन अपनी हाईकमान या यू पी ए की नाकामियों को छिपाने की बहुत कोशिश कर रहे हैं।

अवाम के ज़हीन में ये बात ताज़ा है कि यू पी ए हुकूमत में बहुत बड़े स्क़ाम्स हुए हैं। 2G स्क़ाम के इलावा कॉमन वेल्थ गैस और रिश्वत के ख़िलाफ़ लोक पाल बिल की मुहिम में लोक सभा के अंदर शोर-ओ-गुल पार्लीमैंट का क़ीमती वक़्त ज़ाए करने का मूजिब बनने वाले अवामिल के लिए अवाम कांग्रेस को ही ज़िम्मेदार समझते हैं।

यू पी में मायावती को उन की पालिसीयों और मुजस्समों पर बेजा इसराफ़ के लिए अवाम के दोटों से महरूमी होगी यहां समाजवादी पार्टी को दुबारा इक़तेदार मिलने की क़ियास आराईयां हो रही हैं। कांग्रेस के नौजवान लीडर राहुल गांधी को लाख कोशिशों के बावजूद ख़ातिरख़वाह फ़ायदा नहीं होगा।

मुस्लमानों के लिए तहफ़्फुज़ात की पालिसी भी नाकाम बना दी गई इलेक्शन कमीशन ने इंतेख़ाबात के मौक़ा पर मुस्लमानों को 4.5 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात देने मर्कज़ के ऐलान को ज़ाबता अख़लाक़ की ख़िलाफ़वर्ज़ी की तारीफ़ में शुमार करते हुए पाँच रियास्तों में इस पर अमल आवरी को रोक दिया।

सलमान ख़ुर्शीद ने अक़ल्लीयतों के लिए तहफ़्फुज़ात के मसला पर ब्यान दे कर तनाज़ा पैदा किया तो चीफ़ इलेक्शन कमिशनर एस वाई क़ुरैशी ने वजह बताई नोटिस जारी की। नोट की पालिसी पर मुहिम चलाने वाली कांग्रेस को दरमयान में धक्का पहूँचा है ।

राहुल गांधी के जलसों में अगर चीका अवाम का हुजूम देखा जा रहा है लेकिन वो भी अवाम के एक ग्रुप के लिए नापसंदीदा लीडर बन गए हैं। ख़ासकर उस वक़्त जब कोई उन पर जूता फेंकता है तो ये हक़ीक़त खुल कर सामने आती है कि राहुल गांधी भी कोई करिशमासाज़ लीडर नहीं हैं। अवाम के जज़बात के उगे इन दिनों हर सियासतदां को अपनी रिवायती सोच से बाहर निकलने की ज़रूरत है।

राय दहिंदों को बेवक़ूफ़ समझ कर या उन्हें बेवक़ूफ़ बनाकर वोट लेने की कोशिशें माज़ी की तारीख़ का एहया नहीं हो सकेंगी। देहरादून में एक इंतेख़ाबी जलसा के दौरान राहुल गांधी पर जूता फेंकने का वाक़िया कांग्रेस के लिए सदमा ख़ेज़ हो सकता है क्यों कि राहुल गांधी को अपना सयासी हीरो समझने वाली पार्टी ने इस नौजवान लीडर के सहारे मुल्क पर तन्हा हुक्मरानी का ख़ाब देखा है अपनी पुरानी रवायात का एहया करने की तैयारी कर ली है मगर जलसों में अवाम के एहसासात और ख़्यालात से पता चलता है कि कांग्रेस के लिए ये इंतेख़ाबात सख़्त आज़माईश के सिवा कुछ नहीं।

कांग्रेस को अवाम की ताईद से महरूम होना पड़ रहा है। क्योंकि इसके अवाम दुश्मन निज़ाम ने लोगों को मायूस किया है। हाल ही में अपोज़ीशन लीडर एल के अडवानी ने कांग्रेस ज़ेर क़ियादत मर्कज़ी हुकूमत की ख़राबी की जानिब वाज़िह और दरुस्त निशानदेही की थी कि यू पी ए मुल्क में मर्कज़ और रियास्तों के दरमयान ताल्लुक़ात को बिगाड़ रही है। बल्कि मर्कज़ रियासत ताल्लुक़ात के साथ अपना आमिराना रवैय्या इख़तेयार किया है। मर्कज़ी-ओ-रियास्ती इदारों में आपस में टकराव की नौबत लाने वाली हुक्मराँ कांग्रेस रियास्ती सतह पर पैदा होने वाली संगीन सूरत-ए-हाल के लिए भी ज़िम्मेदार है।

दस्तूर-ओ-आईन की संगीन ख़िलाफ़ वरज़ीयों के बहाना खड़ा करके भी कांग्रेस ख़ुद को एक बेहतर पार्टी और इस की क़ियादत में चलने वाली हुकूमत को अच्छा समझती है तो मुल़्क की पाँच रियास्तों में होने वाले असैंबली इंतेख़ाबात के नताइज उस की कारकर्दगी का सर्टीफ़िकेट होंगे। इन रियास्तों में मुख़ालिफ़ हुक्मरानी लहर के बावजूद वो कामयाब नहीं हो सकेगी। अगर इस ने राय दहिंदों को अपनी माज़ी की ग़लतीयों से सबक़ हासिल कर लेने और एक अच्छी हुकूमत फ़राहम करने का वाअदा किया तो ज़हन बदलने में कामयाब हो सकेगी।