पाकिस्तान की अपोज़ीशन सयासी पार्टीयों ने आज वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान यूसुफ़ रज़ा गिलानी को सुप्रीम कोर्ट की जानिब से तौहीन अदालत का मुजरिम क़रार दिए जाने के बाद उन से अपने ओहदा से फ़ौरी मुस्ताफ़ी होने का मुतालिबा किया। सुप्रीम कोर्ट ने सदर-ए-पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ जालसाज़ी के मुक़द्दमात में कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था, जिसकी बिना पर उन्हें तौहीन अदालत का मुजरिम क़रार दिया।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के सरबराह नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि फ़ैसला की रोशनी में उन के ख़्याल में वज़ीर-ए-आज़म गिलानी को फ़ौरी इस्तीफ़ा देने चाहीए और इस मसला को तवालत नहीं देनी चाहीए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) गिलानी को मज़ीद वज़ीर-ए-आज़म तस्लीम नहीं करेगी। उन्होंने हुकूमत ग़लत रवी का इल्ज़ाम आइद करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट इंतिहाई बुलंद अख़लाक़ी मयार पर क़ायम है और अवाम को भी सदाक़त की ताईद करना चाहीए।
क्रिकेट खिलाड़ी से सियासतदां बनने वाले इमरान ख़ान सरबराह पाकिस्तान तहिरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी ने सोश्यल नेटवर्किंग साईट ट्वीटर पर गिलानी के इस्तीफ़ा का मुतालिबा शाय किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसला के बाद वज़ीर-ए-आज़म ओहदा पर बरक़रार रहने का अख़लाक़ी और क़ानूनी हक़ खो चुके है।
बुनियाद परस्त सयासी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के अमीर मुनव्वर हुसैन ने भी वज़ीर-ए-आज़म पर ज़ोर दिया कि वो मुस्ताफ़ी हो जाएं क्योंकि वो इस फ़ैसला के बाद ओहदा पर बरक़रार रहने के अख़लाक़ी हक़ से महरूम हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बाइज़्ज़त तरीक़ा पर सज़ा सुनाई है और इस के फ़ैसला पर अमल आवरी भी की गई।