पाकिस्तानी इलाक़ा में नाटो का हमला

मग़रिबी ममालिक और खासतौर पर अमरीका के साथ पाकिस्तान के ताल्लुक़ात इंतिहाई कशीदा होते जा रहे हैं और ताल्लुक़ात के इस नाज़ुक मरहला में कल नाटो के हैली कापटरस ने शेमाल मग़रिबी पाकिस्तान के एक सरहदी फ़ौजी चेक प्वाईंट ही को निशाना बनाया जिस के नतीजा में 28 पाकिस्तानी फ़ौजी हलाक होगए हैं। ये हमला सलाला चेक प्वाईंट पर किया गया जिस के नतीजा में 11 दीगर सिपाही ज़ख़मी भी हुए हैं।

ये चेक प्वाईंट अफ़्ग़ान सरहद से कुछ ही फ़ासिला पर है । ये हमला रात देर गए किया गया था जबकि इस इलाक़ा में पाकिस्तानी फ़ौज अफ़्ग़ान तालिबान के साथ बरसर पैकार हैं। पाकिस्तान का कहना है कि नाटो के हैली कापटरस का ये हमला बेला इश्तिआल रहा है और इस का कोई जवाज़ भी नहीं था । इस के संगीन नताइज बरामद होसकते हैं। कहा गया है कि जिस वक़्त ये हमला किया गया उस वक़्त फ़ौजी ओहदेदारान महव ख़ाब थे । पाकिस्तान ने इस हमला पर इंतिहाई शदीद रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है । पाकिस्तानी दफ़्तार-ए-ख़ारजा पर अमरीका सफ़ीर को तलब करते हुए एहतिजाज दर्ज करवाया गया है । दूसरी जानिब वज़ीर-ए-आज़म मिस्टर यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने सूरत-ए-हाल पर ग़ौर करने केलिए का बीनी वुज़रा और फ़ौजी कमांडरस का एक इजलास तलब किया है ।

इस के इलावा वज़ीर-ए-ख़ारजा हिना रब्बानी ख़ार ने भी फ़ोन पर अमरीकी सैक्रेटरी आफ़ स्टेट हीलारी क्लिन्टन से बातचीत करते हुए सख़्त रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है । पाकिस्तानी ने इस हमला की अमली मुख़ालिफ़त का आग़ाज़ करते हुए नाटो अफ़्वाज की रसदात की सरबराही रोक देने का भी फ़ैसला किया है । सारे पाकिस्तान में अवामी सतह पर नाटो की इस कार्रवाई पर ज़बरदस्त एहतिजाज शुरू होचुका है और अवाम नाटो-ओ-अमरीकी अफ़्वाज के ख़िलाफ़ एहतिजाज कर रहे हैं। ख़ुद सदर आसिफ़ अली मर दारी और वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने भी सूरत-ए-हाल पर ग़ौर किया है और उन का कहना है कि नाटो ने अपनी मुतय्यना हदूद को पार करलिया है और अब इस के नसगीन नताइज भी बरामद होसकते हैं।

पाकिस्तानी हुकमरानों का कहना है कि फ़ौजी चौकी पर हमला दर असल पाकिस्तानी इक़तिदार आली की ख़िलाफ़वरज़ी है और ये बैन-उल-अक़वामी क़वानीन के भी मुग़ाइर है ।नाटो की जानिब से ताहम अभी तक इस हमला के ताल्लुक़ से किसी तरह की लब कुशाई हंैं की गई है और ना ही किसी तरह का रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया गया है । अफ़्ग़ानिस्तान और इस से मिलने वाली सरहदात पर पाकिस्तानी इलाक़ा में अक्सर-ओ-बेशतर नाटो की जानिब से फ़िज़ाई हमले किए जाते हैं जिन मेंसीवीलीन और आम शहरी भी निशाना बनते हैं। आम शहरीयों की हलाकत पर हमेशा ही एहतिजाज किया जाता है और अवाम की जानिब से मुसलसल हुकूमत परज़ोर दिया जाता है कि नाटो के ख़िलाफ़ इस तरह के हमलों पर कार्रवाई की जाय ।

ये पहली मर्तबा है कि नाटो की जानिब से पाकिस्तानी हदूद में किसी फ़ौजी चौकी पर हमला किया गया है और इस में काफ़ी तादाद में फ़ौजी हलाक हुए हैं। ये हमला अमरीका के साथ पाकिस्तान के ताल्लुक़ात में मज़ीद कशीदगी पैदा करसकता है । नाटो इत्तिहादी अफ़्वाज वक़फ़ा वक़फ़ा से सारे इलाक़ा में मनमानी अंदाज़ में कार्यवाहीयां करती हैं और अब इन कार्यवाईयों के नतीजा में इलाक़ा का अमन मुतास्सिर होने के अंदेशे पैदा होगए हैं। अमेरिका की क़ियादत में नाटो की अफ़्वाज और इस के कमांडरस मुक़ामी हुकूमतों और इस के इलाक़ा का कोई एहतिराम नहीं करते और मनमाने अंदाज़ में कार्यवाहीयां जारी रखते हैं। अफ़्ग़ानिस्तान में ख़ुद सदर हामिद करज़ई ने नाटो की अफ़्वाज पर इल्ज़ाम आइद किया कि इस ने ग़ैर ज़रूरी कार्रवाई करते हुए आम शहरीयों को हलाक किया है ।

हामिद करज़ई इस बारे में अमरीकी क़ियादत को भी कई मर्तबा वाक़िफ़ करवा चुके हैं इस के बावजूद ये हमले जारी हैं और उन के रुकने के कोई आसार दिखाई नहीं देते । अब तो ये फ़ौजीयों को भी निशाना बना रहे हैं। अब तक नाटो इस तरह के हमलों केलिए एक ही उज़्र पेश करता कि दहश्तगरदों और तालिबान को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी । इस बार ताहम इस का ये जवाज़ काबिल-ए-क़बूल शायद ना होसके क्योंकि जिस चेकपोस्ट को निशाना बनाया गया वो फ़ौजी चौकी थी और यहां फ़ौजी महव ख़ाब थे । ये कार्रवाई ऐसी है जिस से इलाक़ा का अमन मुतास्सिर होसकता है और सारा इलाक़ा इस से मुतास्सिर हुए बगै़र नहीं रह सकता ।

किसी वाजिबी वजह और जवाज़ के बगै़र इस तरह के हमले करना दर असल बैन-उल-अक़वामी क़वानीन के एतबार से गै़रक़ानूनी है ताहम ऐसा लगता है कि नाटो को इस की कोई फ़िक्र नहीं है । दुनिया भर में किसी भी मलिक के अवाम और उन की ज़िंदगीयों को एहमीयत देने का इद्दिआ करने वाला अमरीका और इस की ज़ेर क़ियादत नाटो की अफ़्वाज जो अमला अमरीकी अफ़्वाज का ही रोल अदा करती हैं अफ़्ग़ानिस्तान और इस की सरहदात के इलाक़ा में बे दरेग़ अंदाज़ में बेक़सूर और आम शहरीयों को हलाक करती जा रही हैं। नाटो को इस तरह के हमलों और ऐसी कारस्तानीयों से बाज़ आजाना चाहीए जिन के नतीजा में सारे जुनूबी एशिया का अमन मुतास्सिर होसकता है। क़ियाम अमन के नाम पर इस तरह के हमले काबिल-ए-क़बूल नहीं कहे जा सकते ।

हालाँकि ये मुआमला पाकिस्तान का दाख़िली मुआमला है लेकिन इन अंदेशों को मुतास्सिर नहीं किया जा सकता कि इस के नतीजा में सारे जुनूबी एशिया का अमन मुतास्सिर होसकता है । ऐसी सूरत में ना सिर्फ अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान बल्कि इलाक़ा के दूसरे ममालिक को भी अपनी सीकीवरीटी और सलामती के ताल्लुक़ से फ़िक्रमंदी लाहक़ होगी । अमरीका और नाटो को अपनी हिट धर्मी और मनमानी ख़तम करते हुए बैन-उल-अक़वामी क़वानीन की पाबंदी करनी चाहीए और ऐसी हरकतों से बाज़ आजाना चाहीए जिस से सारे जुनूबी एशिया के अमन को ख़तरात लाहक़ होते हों।