पाकिस्तान ने आज पाकिस्तानी बैरूनी रास्त सरमायाकारी की इजाज़त देने हिंदूस्तान के फ़ैसले का ख़ौरमक़दम ( स्वागत) करते हुए कहा कि ये इक़दाम (कार्यनिष्पादन) ख़ैरसिगाली पैदा करेगा और बाहमी ( आपसी) ताल्लुक़ात को मामूल पर लाने की कोशिशों को तक़वियत ( सहायता/ मदद) देगा।
दफ़्तार-ए-ख़ारजा तर्जुमान मुअज़्ज़म ख़ान ने हिंदूस्तानी हुकूमत के तमाम शोबों मासवाए दिफ़ा, खुला और एटमी तवानाई में पाकिस्तानी सरमाइयों की इजाज़त देने के फ़ैसले का ख़ौरमक़दम किया। उन्होंने कहा कि इस इक़दाम ( कार्यनिष्पादन) से पाकिस्तानी सरमायाकारों ( निवेशकों) और सनअतकारों ( कारीगरो) को फ़ायदा पहुंचेगा।
मुअज़्ज़म ख़ान ने मीडीया को बताया कि हमें उम्मीद है ये फ़ैसला दोनों मुल्कों के अवाम के लिए समरावर ( लाभदायक) रहेगा। माजिद अज़ीज़ जो कराँची से ताल्लुक़ रखने वाले बड़े ताजिर (व्यापारी) हैं और जो मादनियात और जहाज़रानी में दिलचस्पी रखते हैं, उन्होंने हिंदूस्तानी हुकूमत के फ़ैसले को तरक़्क़ी पसंद इक़दाम ( कार्यनिष्पादन) और अच्छी पहल ना कि संग-ए-मेल तबदीली क़रार दिया।
अज़ीज़ ने पी टी आई को कराँची से फ़ोन पर बताया कि पाकिस्तानी सनअत कार ( कारीगर) पहले ही हिंदूस्तानी मंडी में दुबई और सिंगापुर जैसे मुक़ामात में क़ायम कंपनीयों के ज़रीया सरमाया कारी में कामयाब हो रहे हैं। रास्त सरमाया कारी शुरू होने के लिए कुछ वक़्त लगेगा।
अज़ीज़ और आबिद क़य्यूम सिलियरी जो ईस्लामाबाद नशीन इदारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट पालिसी इंस्टीटियूट के एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर हैं, दोनों ने कहा कि हिंदूस्तान और पाकिस्तान को सरमाया कारी और तिजारत में सहूलत पैदा करने के लिए सिलसिला वार इक़दामात ( कार्य/ काम) करने पड़ेंगे।