पाकिस्तानी ज़राए इbलाग़ ने आज कहा कि तौहीन अदालत पर वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गीलानी को सुप्रीम कोर्ट की अलामती सज़ा-ए-के सबब पहले से इंतेशार-ओ-अफ़रा तफ़री के शिकार इस मुल्क के हालात में बेहतरी के बजाय सयासी अफ़रा तफ़री में मज़ीद इज़ाफ़ा ही हुआ है ।
ताहम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वो इदारे ज़रूर मुस्तहकम हुए हैं जो बरसों की फ़ौजी हुक्मरानी के सबब मुतास्सिर हुए थे ।
सदर आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ रिश्वत सतानी के मुक़द्दमात की दुबारा कुशादगी के लिए सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर तामील से इनकार पर मिस्टर गीलानी को अदालत अज़मी की तरफ़ से जुर्म का मुर्तक़िब क़रार देते हुए एक मिनट से भी कम वक़्त के लिए दी गई अलामती सज़ा को पाकिस्तान के तमाम उर्दू और अंग्रेज़ी अख़बारात ने सफ़ाह-ए-अव्वल की सुर्ख़ी बनाए।
रोज़नामा के दी न्यूज़ ने क़सूरवार लेकिन आज़ाद की शहि सुर्ख़ी के साथ ये ख़बर शाय की । डेली टाईम्स ने जुर्म, कैद और रिहाई, 32 सेकेंड में सब कुछ हो गया की सुर्ख़ी के साथ ये ख़बर शाय की ।
बा असर रोज़नामा डॉन ने गिरे लेकिन गये नहीं की शहा सुर्ख़ी के साथ शाय शूदा ख़बर में लिखा कि सुप्रीम कोर्ट रोलिंग ने पहले ही इंतेशार ओ अफ़रा तफ़रीसे मुतास्सिरा पाकिस्तानी सियासती तनाज़ुर में हालात को बेहतर के बजाय मज़ीद अफ़रा तफ़री से दो-चार कर दिया है। इस फैसले ने मिस्टर गीलानी को अपने मुल्क का वो पहला वज़ीर-ए-आज़म बना दिया है जो तौहीन अदालत के जुर्म के ख़ाती क़रार दीए गए हैं। रोज़नामा दी न्यूज़ ने कहा कि इस फैसले के ऐलान से मुल़्क की सयासी तारीख में मज़ीद एक तारीक बाब का इज़ाफ़ा हुआ है