पाकिस्तानी नौजवान ग़ैर मयारी और कम मुआवज़े की मुलाज़मत पर मजबूर

अमेरीकी अख़बार वाशिंगटन पोस्ट लिखता है कि पाकिस्तान में मयारी मुलाज़मत का हुसूल जोय शेर लाने के मुतरादिफ़ है जिन्हें मुलाज़मत मिली उन्हें मुआवज़ा वक़्त पर नहीं मिलता। पाकिस्तान के शहरी इलाक़ों के तालीम-ए-याफ़ता बेरोज़गार नौजवानों की हालत‍ ज़ेर ये है कि वो कम मुआवज़े पर हर तरह की नौकरी के लिए तैय्यार हैं यहां तक कि मुआवज़े के वाअदे पर बेरोज़गार नौजवान जॉब का आग़ाज़ करदेते हैं यहां तक कि उन्हें कई माह बाद तनख़्वाह दी जाती है।

मुआवज़े की अदमे(गैर) अदाइगी पाकिस्तान की मआशी अबतरी की वाज़िह अलामत है। ईद की ख़ुशी के मौक़ा पर मुआवज़े की अदमे(गैर) अदाइगी ने कई मुलाज़मीन के ख़ानदानों में मायूसी में इज़ाफ़ा किया। अख़बार ने सरकारी इदारों में अदमे(गैर) अदाइगी के बारे लिखा कि सुप्रीम कोर्ट को लेडी हैल्थ वर्कर की तीन माह से रुकी तनख़्वाह की फ़ौरी अदायगी का हुक्म देना पड़ा। ऐसी ही सूरत हाल की शिकायात पंजाब में यंग डाँक्टरों की हरताल की वजह से भर्ती होने वाले नए डाँक्टरों को दरपेश है जिन्हें छः हफ़्ते की तनख़्वाह नहीं मिली।

गुज़िश्ता बरस(साल‌) रेलवे मुलाज़मीन ने तन्ख्वा वीं की अदमे(गैर) अदाइगी पर अहितजाजन ट्रेनें रोक दी थी। पाकिस्तान में प्रोफ़ैशनल के दरमियान(बीच‌) ऐसी सूरत में रोज़ बरोज़ इज़ाफ़ा हो रहा है। इक़तिसादी बदहाली करंसी की गिरती शरह क़दर,इफ़रात-ए-ज़र में इज़ाफ़ा,ग़ुर्बत और मुसलसल तवानाई के बोहरान उस की वजूह हैं। गुज़िश्ता माह(महिने) कराची में म्यूनसिंपल मुलाज़मीन ने दो माह की तन्ख्वा वीं की अदमे(गैर)अदाइगी पर एहतिजाज किया जिस में उन्हें लाठी चार्ज और आँसू गैस का सामना करना पड़ा।

लाहौर के एक छोटे से अख़बार की एक नौजवान सहाफ़ी ने दो माह की तनख़्वाह की अदमे(गैर) अदाइगी पर मौत को गले लगा लिया। अख़बारात और केबल टी वी चैनल्ज़ समेत दीगर ज़राए इबलाग़ की तंज़ीमों के कारकुन और सहाफ़ी भी अदम तन्ख्वा वीं की शिकायात करते हैं। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ आख़िरी बड़े सर्वे 2006 में ग़ुर्बत की शरह 23 फ़ीसद थी लेकिन इन आदाद-ओ-शुमार में अब दुगुना इज़ाफ़ा हो चुका है। शहरी इलाक़ों में बेरोज़गारी एक और मसला है। तालीम-ए-याफ़ता लोगों को जो भी काम मिले वो करने को तैय्यार हैं यहां तक कि अगर तनख़्वाह कम मिले और कई माह(महिने) तक भी ना मिले।