श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के पहचान पत्र को लेकर एक मुसीबत पैदा हो गई है। जिसके चलते सोपोर कस्बे में शुक्रवार की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन भी किए गए। घाटी में अलगाववादी और मुख्य विपक्षी पार्टिया राज्य सरकार पर आरोप लगा रही हैं कि वह इन्हें सर्टिफिेकेट देकर राज्य से जुड़े कानूनों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि सरकार ने कहा है कि जिन शरणार्थियों को वह सर्टिफिकेट दे रहे हैं वे सभी हिंदू हैं जोकि बंटवारे के वक्त जम्मू कश्मीर आए थे। हम उन्हें सिर्फ पहचान दस्तावेज ही मुहैया करवा रहे हैं ताकि उन्हें भारत सरकार के संस्थानों में नौकरी मिलने में मदद हो सके। इस विरोध में प्रदर्शन कर रही भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठियां बरसाई गई। इसके साथ जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट चेयरमैन यासिन मलिक को श्रीनगर में हिरासत में ले लिया गया।
इसके अलावा जम्मू में बीजेपी नेताओं ने रोहिंग्या मुसलामानों का मुद्दे पर कहा है कि वे आगामी बजट सत्र के दौरान राज्य मे रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ती संख्या का मुद्दा उठाएंगे। कश्मीर जैसे सवेंदनशील सीमा से सटे राज्य में उनको बसाना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है।
जम्मू के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने आर्टिकल 370 लागू करने में राज्य सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाया। रोहिंग्या मुसलमानों का नाम लिए बिना जम्मू के लोगों से कहा कि वे आखिरी लड़ाई के लिए तैयार रहें। गुप्ता ने कहा कि एक तरफ सरकार पंडितों के लिए कालोनी बनाने से इंकार कर रही है और दूसरी ओर म्यांमार से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों को कई सालों से राज्य में बसा रही है।