पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में आज सदर ज़रदारी और वज़ीर-ए-आज़म गिलानी की क़िस्मत का फ़ैसला

ईस्लामाबाद, १६ जनवरी (पी टी आई) पाकिस्तान के परेशान हाल क़ाइदीन बिशमोल सदर आसिफ़ अली ज़रदारी और वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी की क़िस्मत का फ़ैसला कल हो जाएगा। जब कि सुप्रीम कोर्ट खु़फ़ीया मुरासला स्कैंडल और आली सतही जालसाज़ी मुक़द्दमात का फ़ैसला सुनाएगी।

हुकूमत ने पार्लीमैंट से मदद तलब की है। क़ौमी असैंबली पाकिस्तानी पार्लीमैंट की ऐवान-ए-ज़ेरीं है, जिस ने सयासी क़ियादत की जमहूरीयत के इस्तिहकाम की कोशिशों की ताईद की है और इस पर भरपूर एतिमाद का तीक़न दिया है। पार्लीमैंट एक क़रारदाद पर भी ग़ौर कर रही है, जब कि 17 रुकनी सुप्रीम कोर्ट की बंच कुरप्शन के मुक़द्दमा के अहया के सिलसिले में समाअत करनेवाली है, जिसे क़ौमी समझौता सदारती हुक्मनामा (एन आर ओ) के ज़रीया बंद कर दिया गया था।

आम माफ़ी का साबिक़ फ़ौजी हुक्मराँ परवेज़ मुशर्रफ़ ने 2007-ए-में ऐलान किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पुरासरार मुरासला की तहक़ीक़ात के लिए एक अदालती कमीशन का तक़र्रुर किया है, जिस में मुबय्यना तौर पर गुज़श्ता साल पाकिस्तान में फ़ौजी बग़ावत के इंसिदाद के लिए अमेरीका से मदद तलब की गई थी, इस मुक़द्दमा की भी कल समाअत की जाएगी।

पाकिस्तानी नज़ाद अमेरीकी ताजिर मंसूर एजाज़ ने खु़फ़ीया मुरासला का बरसर-ए-आम इन्किशाफ़ करते हुए ये तनाज़ा खड़ा किया है। इस की पाकिस्तान आमद और अदालत के इजलास पर ब्यान देना हनूज़ शकूक-ओ-शुबहात के दायरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने गुज़श्ता हफ़्ता इंतिबाह दिया था कि वज़ीर-ए-आज़म को नाअहल क़रार दिया जा सकता है और सदर ज़रदारी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई मुम्किन है। अगर दोनों एन आर ओ के मसला पर अदालती अहकाम की ख़िलाफ़वर्ज़ी करें।

सुप्रीम कोर्ट कह चुकी है कि वज़ीर-ए-आज़म गिलानी दियानतदार नहीं हैं, हालाँकि वो अपने ओहदा की हलफ़ बर्दारी में दियानतदारी का तीक़न दे चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सदर ज़रदारी को भी इंतिबाह दिया है कि उन्हें भी ओहदा की हलफ़ बर्दारी की ख़िलाफ़वरज़ी पर इसी किस्म की कार्रवाई का सामना हो सकता है।

हुकूमत और अदलिया बिशमोल ताक़तवर फ़ौज मुरासला स्कैंडल के सिलसिले में एक दूसरे के ख़िलाफ़ सफ़ आरा हैं।