पाकिस्तान की जानिब से कशमीर का तज़किरा गै़रज़रूरी

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा, ०२ अक्टूबर ( पी टी आई) हिंदूस्तान ने आज अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ( संयुक़्त राष्ट्र/UN) में जम्मू-ओ-कश्मीर का ग़ैर ज़रूरी हवाला देने पर पाकिस्तान को जवाबी तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि रियासत इस मुल्क का अटूट हिस्सा है ।

सदर-ए-पाकिस्तान ( पाकिस्तान के राष्ट्रपती) आसिफ़ अली ज़रदारी के रिमार्कस का हवाला देते हुए वज़ीर उमोर ख़ारजा एस एम कृष्णा ने आज कहा कि इस मसला ( समस्या) पर हिंदूस्तान का उसूली मौक़िफ़ ( निश्चय) बरक़रार है और ये सब जानते हैं । उन्होंने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असेंबली से ख़िताब करते हुए कहा कि जम्मू-ओ-कश्मीर की अवाम ने हिंदूस्तान के मुक़र्ररा जमहूरी अमल के ज़रीया कई मर्तबा अपने मुस्तक़बिल ( भविष्य) के फ़ैसले का इआदा किया है ।

उन्होंने कहा कि इसी शहि नशीन से जम्मू वकशमीर का ग़ैर ज़रूरी हवाला दिया गया था जब कि हमारा उसूली मौक़िफ़ क़ायम है और सब पर वाज़िह है। उन्होंने कहा कि जम्मू-ओ-कश्मीर की अवाम ने हिंदूस्तान के मारूफ़ और मुस्लिमा जमहूरी अमल के ज़रीया कई मर्तबा अपनी मंज़िल का इंतिख़ाब ( चयन) किया है ।

वाज़िह रहे कि आसिफ़ अली ज़रदारी ने गुज़शता हफ़्ता मसला-ए-कश्मीर को उठाते हुए कहा था कि ये अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के सिस्टम की नाकामी की अलामत ( पहचान) बन चुका है । एस एम कृष्णा ने कहा कि हिंदूस्तान ने पाकिस्तान के साथ मुज़ाकरात ( आपसी बात चीत) का अमल शुरू किया है और बाहमी रवाबित (मेल जोल) को मामूल पर लाने के लिए वो क़दम ब क़दम पेशरफ़त की वकालत करता है ।

मिस्टर एस एम कृष्णा ने बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) बिरादरी पर ज़ोर दिया कि वो दहशतगर्दी के ताल्लुक़ से किसी तरह की रवादारी ( भावना) ना बरते क्योंकि ये आलमी अमन और सलामती के लिए इंतिहाई संगीन ख़तरा बन चुका है । उन्होंने कहा कि बैन-उल-अक़वामी दहशतगर्दी पर जामि कनवेनशन के लिए आलमी बिरादरी को अपना वक़्त मज़ीद ( और) ज़ाए ( बरबाद) नहीं करना चाहीए ।

एस एम कृष्णा ने 20मिनट के ख़िताब ( Speech) के दौरान अफ़्ग़ानिस्तान की सरहदात के आस पास दहशतगर्दों के महफ़ूज़ ठिकानों पर तशवीश का इज़हार करते हुए कहा कि जंग से मुतास्सिरा ( प्रभावित) इस मुल़्क की सलामती और अमन ( शांती) के लिए ये आज भी एक अहम रुकावट है ।

उन्होंने कहाकि अब वक़्त आ चुका है कि सारे ममालिक ( मुल्क) को मिलकर सयासी जुरात मंदी का मुज़ाहरा ( प्रदर्शन) करना चाहीए और बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) दहशतगर्दी ( आतंकवाद) पर जामि कनवेनशन पर इत्तिफ़ाक़ किया जाय । उन्होंने अदम फैलाव और न्यूक्लीयर तर्क अस्लाह इत्तिफ़ाक़ राय की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ।

उन्हों ने शाम ( Syria) की मौजूदा सूरत-ए-हाल का ज़िक्र करते हुए कहा कि फ़ौजी कार्यवाईयों से हालात मज़ीद तबाहकुन ( बरबाद) हो जाएंगे । उन्होंने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ( UN) में इस्लाहात की भी वकालत की।