लाहौर 27 मार्च : पाकिस्तान की आई सी सी क्रिकेट वर्ल्ड कप की कामयाबी को 21 साल मुकम्मल होगए। ताहम पाकिस्तान की इस कामयाबी की 21 वीं सालगिरह पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और मुल्क की किसी भी क्रिकेट एसोसेएशण ने किसी तक़रीब का इनइक़ाद नहीं किया।
वर्ल्ड कप की फ़ातह पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान इमरान ख़ान इन दिनों मुल्क में होने वाले अगले आम इंतिख़ाबात की मुहिम में मसरूफ़ हैं, उनकी सियासी जमात तहिरीक-ए-इंसाफ़ ने भी इस जानिब कोई तवज्जो नहीं दी, और ना उनकी जमात के कल्चर और स्पोर्टस विंग की जानिब से किसी तक़रीब का इनइक़ाद किया गया।
25 मार्च 1992 का दिन पाकिस्तान क्रिकेट की तारीख़ में इंतिहाई एहमियत का हामिल है क्योंकि यही वो दिन है जब पाकिस्तानी टीम ने अपनी तारीख़ में पहली मर्तबा वर्ल्ड कप की ट्रॉफ़ी जीतने का एज़ाज़ हासिल किया था। इमरान ख़ान की ज़ेर क़ियादत टीम ने इस टूर्नामेंट में बड़े नशेब-ओ-फ़राज़ देखे।
मैलबोर्न में वैस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ पहले ही मैच में दस विकटों से नाकामी के बाद होबार्ट में ज़िमबावे को 53 रंस से शिकस्त दे कर जो हौसला पाया वो इंगलैंड केख़िलाफ़ एडीलेड में हुआ हो गया जब पाकिस्तानी टीम सिर्फ़ 74 पर ढेर हो गई लेकिन बारिश ने इस मैच में यक़ीनी शिकस्त को टाल दिया।
सिडनी में हिंदूस्तान के ख़िलाफ़ 43 रंस से नाकामी ने सिंगल लीग फॉर्मट में पाकिस्तान को काफ़ी नीचे धकेल दिया जबकि ब्रिस्बेन में जनूबी अफ़्रीक़ा के सामने 20 रंस की नाकामी ने तो रही सही कसर ही पूरी कर डाली, लेकिन 11 मार्च को प्रथ में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 48 रंस से कामयाबी ने टीम में नया हौसला भर दिया जिसने इसी मैदान पर श्री लंका को भी चार विकटों से शिकस्त दी जबकि मेज़बान मुल्क न्यूज़ीलैंड को शिकस्त दे कर सेमीफाइनल में रसाई हासिल की।
इस मरहले पर भी ऑस्ट्रेलिया का वेस्ट इंडीज़ को हराना मुआविन साबित हुआ वर्ना वेस्ट इंडीज़ की कामयाबी पाकिस्तान को दौड़ से बाहर कर सकती थी। सेमीफाइनल में भी न्यूज़ीलैंड ही मद्द-ए-मुक़ाबिल थी जहां इंज़िमाम उल-हक़ और जावेद मीयांदाद की निस्फ़ सेंचुरियों ने पाकिस्तान को फाईनल में पहुंचा दिया।
5 मार्च को मैलबोर्न में फाईनल में इंगलैंड के ख़िलाफ़ इमरान ख़ान और जावेद मीयांदाद की निस्फ़ सेंचुरियों की बदौलत छः विकटों पर 249 रंस स्कोर किए। इंगलैंड ने पांचवें विकेट पर मजमूआ 141तक पहुंचा दिया इस मौके पर वसीम अकरम की दो जादूई गेंदों ने ऐलन लैंब और करस लूइस की विकटें गिरा कर पाकिस्तान के लिए कामयाबी की राह हमवार कर डाली। इमरान ख़ान ने ट्रॉफ़ी अपने हाथों में उठाई तो ये मंज़र पाकिस्तान क्रिकेट की तारीख़ में यादगार बन गया।