पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार

अमरीका को अब पाकिस्तान के न्यूक्लियर असलाह की फ़िक्र हो रही है। आलम अरब में अपनी जारहीयत पसंदाना कार्यवाईयों इराक़ और अफ़्ग़ानिस्तान को तबाह कर देने के बाद उस की तवज्जा पाकिस्तान पर मर्कूज़ हो जाना तशवीशनाक है।

वाशिंगटन से आने वाली ख़बरों पर तवज्जा देने फ़िक्र का दायरा वसीअ करने के बजाय पाकिस्तान के हुक्मराँ और अवाम की नुमाइंदगी करने वाले क़ाइदीन का तबक़ा लाशऊरी के मुज़ाहिरे में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। पाकिस्तान का हुक्मराँ तबक़ा अपने न्यूक्लियर हथियारों के महफ़ूज़ होने का इद्दिआ कर रहा है तो मुल्क से दूर जिलावतनी की ज़िंदगी गुज़ारने वाले पाकिस्तानी क़ाइदीन ख़ासकर साबिक़ सदर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने वाशिंगटन के अज़ाइम पर तबसरा करते हुए अपने फ़ौजी तजुर्बात की बुनियाद पर ये दावा किया कि अमरीका की जानिब से उन के मलिक पर हमले का तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता।

ओसामा बिन लादन को हलाक करने की कार्रवाई में अमरीका कामयाब होसकता है मगर पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों के ठिकानों को तबाह करने या उन को अपने कंट्रोल में लेने वो कामयाब नहीं होगा अमरीका की ताक़त और पाकिस्तान के हिफ़ाज़ती हिसार के दरमयान पाए जाने वाले फ़र्क़ का अंदाज़ा किए बगै़र अगर पाकिस्तान का कोई लीडर ये समझे कि अमरीका के लिए पाकिस्तान को निशाना बनाना मुश्किल होगा। पाकिस्तान कोई उसामा बिन लादन की तरह नरम या आसान निशाना नहीं है बल्कि पाकिस्तान एक सख़्त जान मुलक है जिस पर हाथ डालना अमरीका के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।

इस तरह के ख़्यालात और ब्यानात के ज़रीया अपनी सीकोरीटी ख़ामीयों पर अदमे तवज्जो देने वाले हुक्मराँ और अवामी नुमाइंदे बन कर मुलक दर मुलक घूमने वाले नाम निहाद क़ाइदीन ने ही मुल्कों को तबाह करदिया है। इराक़, लीबिया के हुकमरानों का हश्र देखने के बावजूद ब्यानात का तर्ज़ तबदील नहीं किया जाय तो ये किसी भी मलिक के अवाम की बदनसीबी कहलाएगी।

हुक्मराँ तबक़ा हो या कोई अवामी लीडर अपने अवाम को हक़ीक़त से दूर ले जाकर एक ऐसी दुनिया में छोड़ देते हैं जहां सिवाए तबाही के कुछ नहीं है। पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी और इस के क़ाइदीन हूँ या पाकिस्तान के बाहर रह कर अपने मुल़्क की सलामती और तहफ़्फ़ुज़ पर यक़ीन रखने वाले क़ाइदीन जैसे परवेज़ मुशर्रफ़ हूँ उन्हों ने पाकिस्तान के हालात का मारुज़ी जायज़ा नहीं लिया है।

पाकिस्तान के अंदरूनी हालात इस के पड़ोसी मुल्कों के लिए भी तशवीश का बाइस हैं ख़ासकर हिंदूस्तान को इस लिहाज़ से तशवीश है कि अगर अमरीका ने पाकिस्तान पर हमला करने के इरादे को बरुए कार लाया तो बर्र-ए-सग़ीर में इस के अज़ाइम बढ़ जाएंगी।

पाकिस्तान की मौजूदा जमहूरी हुकूमत ने मलिक के हालात को इतना ख़राब और मायूसकुन बनादिया है कि ये लोग अवाम को सिर्फ झूटे ख़ाब दिखाकर गुमराह कर रहे हैं। जबकि पाकिस्तान की फ़ौज ने अपने मुल़्क की न्यूक्लियर ताक़त की मुकम्मल हिफ़ाज़त का अह्द किया है। पाकिस्तानी फ़ौज न्यूक्लियर तंसीबात की हिफ़ाज़त के लिए मज़ीद 8000 सीकोरीटी अमला को ट्रेनिंग देने का फ़ैसला किया।

डायरैक्टर जनरल सीकोरीटी असटराटीजक प्लान्स डीवीझ़न मेजर जनरल मुहम्मद ताहिर ने किसी भी सूरत में न्यूक्लियर हथियारों की हिफ़ाज़त का अह्द किया है तो उन्हें अमरीका की नीयत का भी अंदाज़ा कर लेना चाहीए कि वो जब किसी मुल़्क पर नज़र डालता है तो इस के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में ताख़ीर नहीं करता और ना ही दोस्ती-ओ-इंसानियत को मल्हूज़ रखता है। इस रिपोर्ट को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता कि अमरीका पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों को तबाह करसकता है।

इन हथियारों को दहश्तगरदों से बचाना उस की कार्रवाई का अहम जवाज़ होसकता है। पाकिस्तान की न्यूक्लियर सीकोरीटी से मुताल्लिक़ अमरीकी हुकूमत के ख़्यालात में कोई तबदीली नहीं आई है। इस में शक नहीं कि पाकिस्तान के अवाम, सीकोरीटी उमूर पर निगरानी रखने वाले फ़ौजी सरबराहान अपने मुल़्क की सलामती और हिफ़ाज़त के लिए क़ौमी जज़बा रखते हैं। ख़ासकर फ़ौज अपने मुल़्क की हिफ़ाज़त के अह्द की पाबंद है। जान निसार करने का जज़बा रखने वाले सिपाही भी अपने मलिक के न्यूक्लियर हथियारों की इफ़ादीयत और एहमीयत से बख़ूबी वाक़िफ़ हैं।

सदर अमरीका बारक ओबामा ने भी गुज़श्ता साल मार्च में मुनाक़िदा आलमी न्यूक्लियर सीकोरीटी निज़ाम चोटी कान्फ़्रैंस में ख़िताब करते हुए पाकिस्तान के सीकोरीटी उमूर और इस के लिए न्यूक्लियर हथियारों के प्रोग्राम से मुताल्लिक़ भरपूर एतिमाद का इज़हार किया था मगर अब एक साल बाद का ये एतिमाद किसी और नीयत की तरफ़ माइल होता नज़र आ रहा है।

हो सकता है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों के बारे में अमरीका के मंसूबों को दानिस्ता तौर पर गुमराह कुन तरीक़ा से फैलाया जा रहा है मगर इस में एक हक़ीक़त और सच्चाई भी हो सकती है। पाकिस्तान को जंग के चैलेंजस से निमटने के लिए अपनी रिवायती ताक़त और क़ुव्वत को यक़ीन की हद तक ले जाने के बजाय जो अंदेशे फैलाए जा रहे हैं इस पर तवज्जा दीनी चाहियॆ।

हो सकता है कि अमरीका की ज़हर आलूद कार्यवाईयों से मुताल्लिक़ अमरीकी अख़बारात की रिपोर्टस में कोई सच्चाई ना हो मगर मौजूदा हालात और पाकिस्तान में बढ़ती अमरीकी मुदाख़िलत से पाकिस्तान की क़ियादत और अवाम को ज़रूरत से ज़्यादा पुरअज़म या पर एतिमाद नहीं होना चाहियॆ।

हालिया अमरीकी ब्यानात और आई ऐस आई के साथ हक़्क़ानी नॆट्वर्क के गठजोड़ से मुताल्लिक़ अमरीकी आला ओहदेदार मलीवन के इल्ज़ामात के बाद भी रिवायती तौर पर पर एतिमाद का मुज़ाहरा ख़तरनाक साबित होगा।

पाकिस्तान के अवाम को भी अपने लीडरों, पालिसी साज़ों की दूर अंदेशी और सलाहीयतों पर कामिल एतिमाद रखने से ज़्यादा अमरीका के मंसूबों और मौजूदा हालात के तनाज़ुर में चौकस रहना ही। बर्र-ए-सग़ीर में अमरीका की बढ़ती मुदाख़िलत एक लिहाज़ से हिंदूस्तान के लिए भी तवज्जा तलब है।