पाकिस्तान के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण मामले पर की आलोचना

सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण का पाकिस्तान के वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ ही अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों ने निंदा की है। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कहा है कि इस्लाम ऐसे कृत्यों की अनुमति नहीं देता है। मुसलमानों को उनके इलाकों में अल्पसंख्यकों को बेहतर माहौल उपलब्ध कराना चाहिए । मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के कथित जबरन धर्म परिवर्तन पर देशव्यापी आक्रोश है। रविवार को मुताहिदा उलेमा बोर्ड (पंजाब) और पाकिस्तान उलेमा काउंसिल की एक संयुक्त बैठक के दौरान जबरन धर्मांतरण की निंदा की गई। धार्मिक नेताओं ने कहा, गैर मुस्लिमों के जबरन धर्म परिवर्तन की अनुमति इस्लाम में नहीं है। खबरों में कहा गया है कि धर्म गुरुओं ने सहमति व्यक्त की कि सिंध प्रांत में दो हिंदू किशोरियों के कथित जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह के मुद्दे और बाद के अन्य मामलों को कानून व न्याय के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए ।

बैठक की अध्यक्षता मुताहिदा उलेमा बोर्ड और पाकिस्तान उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मुहम्मद ताहिर महमूद अशरफी ने की। बैठक में रेखांकित किया गया कि इस्लाम शांति, सद्भाव और स्थिरता का धर्म है। इसकी शिक्षाओं ने मुस्लिम देशों में रहने वाले गैर-मुस्लिमों के लिए स्पष्ट रूप से अधिकारों को परिभाषित किया है।