पाकिस्तान चुनाव: क्या हाफिज़ सईद बनेगा किंग मेकर?

पाकिस्तान की सत्ता पर अपनी पार्टी को क़ाबिज़ करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मियां नवाज़ शरीफ दस साल की जेल काटने लंदन से पाकिस्तान पहुंच जाते हैं। ये जानते हुए भी कि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा. और ऐसा ही होता है।

अब मियां नवाज के जेल जाने का उन्हें कितना फायदा या नुकसना होता है। इमरान खान की पार्टी इसे चुनाव में कितना भुना पाती है। बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो की पार्टी की दावेदारी कितनी मजबूत होती है।

या फिर इस उथल-पुथल का फायदा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद कितना उठा पाता है। इसी पर अब सबकी नज़र है। 25 जुलाई का चुनावी नतीजा ये तय करेगा कि पाकिस्तान कहीं आतंकिस्तान तो नहीं बन जाएगा।

सालों-साल तानाशाही की आंच में सिंकने और सिसकने के बाद अब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जम्हूरियत के सबसे बड़े त्यौहार की तैयारी में है। 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव है। वहां के सियासतदानों की अंधाधुंध ज़ुबानी रस्साकशी उसी त्यौहार की तैयारी है।

इस चुनाव में ज़ोरआजमाइश कर रही हर पार्टी और हर सियासी नुमाइंदे की अपनी ढफली और अपना राग है। कोई सामने वाले को मुल्क के लिए नासूर करार देकर उसके खिलाफ़ होने वाली कार्रवाई को नए पाकिस्तान का आगाज़ बता रहा है।

कोई खुद पर होने वाली कार्रवाई को सियासी साज़िश करार दे रहा है। तो कोई इन सबसे अलग पानी पी-पी कर हिंदुस्तान, अमेरिका और इज़रायल को कोस रहा है. ऐसे ही बोल-वचनों से मुल्क की सबसे ऊंची कुर्सी पर काबिज़ होने का ख्वाब देख रहा है।

लेकिन इन सबसे अलग इंटरनेशनल आतंकवादी हाफ़िज़ सईद पाकिस्तान के इस उथल-पुथल भरे माहौल का भरपूर फायदा उठाने में लगा है।

पाकिस्तान की सभी प्रमुख सियासी पार्टियों के बीच आपसी रस्साकशी को देखते हुए हाफिज सईद को लगता है कि इस बार पाकिस्तानी अवाम सीधे नहीं तो पिछले दरवाजे से ही उसे प्रधानमंत्री के दफ्तर और फिर कुर्सी तक जरूर ले जाएगी। और उस कुर्सी तक पहुंचने के लिए वो पूरा दम लगा कर भारत के खिलाफ चीख रहा है. ज़हर उगल रहा है।