नई दिल्ली : पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा कि उनकी सरकार हिंदुस्तान के साथ बिना शर्त बातचीत करने को तैयार है. बासित ने कहा, ‘अगर भारत चाहेगा, तो पाकिस्तान हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में बातचीत करने के लिए तैयार है.’ पंजाब के अमृतसर में अगले हफ्ते हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस होगी. अब्दुल बासित ने कहा जो अभी हालात है, वह पहले भी रहे. हमने जंगे भी लड़ी, लेकिन हम चाहते है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे हों. हमें देखना होगा कि हमारे ताल्लुक क्यों ठीक नहीं हैं. आप कहते हैं कि दहशतगर्दी का मसला है. हां, दहशतगर्दी का मसला एक है, लेकिन बुनियादी मसला वह कश्मीर का मसला है.
उन्होंने आज तक चैनल पर इंटरव्यू में कहा की हमने कभी नहीं कहा कि हम सिर्फ कश्मीर मसले पर बात करेंगे. हम तमाम मसले जिसमें दहशतगर्दी और कश्मीर मसले पर नतीजे तक पहुंचने वाली बात करना चाहते हैं. सिर्फ बात करने वाली बात न हो, ताकि रिश्ते अच्छे हों. अमन का साथ हो तो इसमें दोनों का फायदा है और अमन के लिए बातचीत बहुत जरुरी है. आप दो साल बात न करें, देरी हो सकती है, लेकिन बातचीत के बिना अमन संभव नहीं.
सिक्योरिटी एडवाइजर को आपने यहां आने से रोक लगा दी, यह कह कर कि हुर्रियत के लोगो से मुलाकात नहीं करेंगे, तो यह कैसे चलेगा. पाकिस्तान हमेशा चाहता की भारत के संबंध अच्छे हों. हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में अगर भारत चाहेगा तो पाकिस्तान बात करेगा. अभी तक किसी बातचीत को लेकर बात नहीं हुई है. हमारे यहां एक फीलिंग है और यहां के लोगों का मानना है कि भारत अभी जम्मू कश्मीर पर बात करने को तैयार नहीं है. मुंबई हमले के बाद बहुत बातें हुई हैं. इस केस में जो भी मुलजिम हैं, उन पर ट्रायल चल रहा है. थोड़ा टाइम लग रहा है. हम बात की तह तक पहुंचना चाहते हैं. अगर हम आपका सहयोग न करें तो सिर्फ टीम पाकिस्तान पहुंचने से क्या होगा. तो बेहतर है कि छोटी चीजों में न उलझकर बात की तह तक पहुंचा जाए.
नए पाक आर्मी चीफ के आने के बाद कुछ नहीं बदलेगा. जो ताल्लुकात था वही रहेगा. हम चाहते हैं संबंध अच्छे हों. हमारी पूरी सोसाइटी लोकतंत्र की तरफ बढ़ रह है. डेमोक्रेसी बहुत आगे बढ़ गई है. पाकिस्तान में तख्तापलट अब मुमकिन ही नहीं है. पाकिस्तान में कोई कन्फ्यूजन नहीं है. डेमोक्रेसी अच्छी चल रही है. हमारी तरफ से कोई मसला नही है, फैसला आप लोगों को करना है. हम नही चाहते कि एलओसी पर फायरिंग हो. इंडियन जवान सिर काट कर ले गए हों, इसके बारे में मुझे पता नहीं.
17. सीजफायर पर कोई एग्रीमेंट बने तो हमें कोई दिक्कत नहीं है. इसका फैसला संयुक्त राष्ट्र के ऑब्जर्वर आकर करें. जो जम्मू कश्मीर में हो रहा है आप देख लें. बुरहान वानी के जनाजे में 2-3 लाख लोग आए थे. यह सियासी फैसला है, दहशतगर्दी का मसला नहीं है.