पाकिस्तान : मज़हबी बेहुर्मती पर जुनून पर तशवीश (संदेह), क़ानून में इस्लाह (सुधार) का मुतालिबा

बज़ाहिर ज़हनी तौर पर माज़ूर एक शख़्स को ज़िंदा जला देने के वाक़िया की पाकिस्तान कमीशन बराए इंसानी हुक़ूक़ (ह्युमन राइट्स) ने जहां सख़्त मुज़म्मत की , वहीं इंसानी हुक़ूक़ (ह्युमन राइट्स) की बैन-उल-अक़वामी (अंतर्राष्ट्रीय) तंज़ीम एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि इस वाक़ये में मुलव्विस अफ़राद (लोग) को कैफ़र-ए-किरदार (आखरी अंज़ाम) तक नहीं लाया गया तो लोगों को ये पैग़ाम जाएगा कि कोई भी शख़्स किसी की भी जान ले सकता है और ये कह कर अपनी जान छुड़ा सकता है कि इस ने ऐसा अपने मज़हबी जज़बात के दिफ़ा में किया।

पाकिस्तान में मज़हबी बेहुर्मती से मुताल्लिक़ मुतनाज़ा क़वानीन की मौजूदगी में इस वाक़ये ने इंसानी हुक़ूक़ (ह्युमन राइट्स )की पामालियों के ख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद करने वालों को सख़्त तशवीश (संदेह) में मुबतला कर दिया है। इस दिल सोज़ (दिल दहलाने) वाक़ये में पुरतशद्दुद मौत से दो-चार होने वाले शख़्स की बाबत चुनी गोठ पुलिस के इंचार्ज सब इन्सपैक्टर मलिक ग़ुलाम फ़रीद ने बताया कि वो बज़ाहिर ज़हनी तौर पर माज़ूर था और इलाक़े में ब्रहना घूम रहा था।पुलिस के मुताबिक़ वो शख़्स किसी दूसरे इलाक़े से चुनी गोठ में आया था और अभी तक इस के किसी वारिस ने कोई खोज ख़बर नहीं ली।