पाकिस्तान में मार्शल ला का इमकान नहीं

वाशिंगटन 16 जनवरी (राइटर्स) अमरीकी रोज़नामा वाशिंगटन पोस्ट ने कहा कि पाकिस्तान में मार्शल का कोई इमकान नहीं है ताहम फ़ौज सुप्रीम कोर्ट के कहने पर मदद करसकती है। अपने एक तजज़िया मैं रोज़नामा ने लिखा कि सदर ज़रदारी के एक रोज़ा दौरा दुबई का मक़सद अपने बारे में अफ़्वाहों पर लापरवाही का मुज़ाहरा करना था। पाकिस्तान में हंगामे के पीछे खु़फ़ीया मुरासला स्कैंडल है जो पाकिस्तान की आला तरीन सतह से रवाना किया गया था।

उन्हों ने कहाकि अदलिया और हुकूमत के दरमयान असल टकराओ पिर के दिन होगा जब हुकूमत सदर ज़रदारी और दूसरे ओहदेदारों केख़िलाफ़ मुक़द्दमात के अहया के बारे में अपने मौक़िफ़ की वज़ाहत करेगी। रोज़नामा के मुताबिक़ इन ड्रामाई वाक़ियात के बावजूद आम तौर पर ये समझा जाता है कि फ़ौज का इन्क़िलाब बरपा करने की जानिब रुजहान नहीं है, और ना ही पाकिस्तान के ज़राए इबलाग़ इस के हक़ में हैं बल्कि फ़ौज की तर्जीहये है कि सुप्रीम कोर्ट इस का फ़ैसला करे और इस में अगर अदालत को आईनी तक़ाज़े पूरा करने केलिए फ़ौज की मदद की ज़रूरत होतो फ़ौज इस के लिए तैय्यार है।

अमरीकी ओहदेदारों के मुताबिक़ पाकिस्तान में फ़ौजी इन्क़िलाब से मुआमले के फ़रीक़ैन को कोई फ़ायदा नहीं है। मुदाख़िलत करने की किसी भी कोशिश का उल्टा असर मुरत्तिब होगा। एरोज़नामा के बमूजब इस सूरत-ए-हाल से निमटने केलिए अदालत को छः मुतबादिल दस्तयाब हैं। इन में वज़ीर-ए-आज़म गिलानी की बरतरफ़ी, तौहीन अदालत के इल्ज़ामात पर कार्रवाई और राय दहिंदों से इस का फ़ैसला करवाना शामिल हैं।

हुकूमत और फ़ौज के दरमयान ये इख़तिलाफ़ात अमरीका औरपाकिस्तान के ताल्लुक़ात में बिगाड़ के पस-ए-मंज़र में पैदा हुए हैं। रोज़नामा के बमूजब वाशिंगटन में वज़ीर-ए-ख़ारजा हीलारी क्लिन्टन की पाकिस्तान की नई सफ़ीर शेरी रहमान के साथ मुलाक़ात से मामूली से पेशरफ़्त हुई है। पैर के दिन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ए मकान है कि ज़रदारी और गिलानी की क़िस्मत का फ़ैसला करदेगी। अगर अदालती फ़ैसला मानने से हुकूमत इनकार करदे तो फ़ौजी बग़ावत के इमकानात को भी मुस्तर्द नहीं किया जा सकता जिस के अंदेशे एक अर्सा से ज़ाहिर किए जा रहे हैं।