ईस्लामाबाद, २७ दिसम्बर: (पी टी आई) हकूमत-ए-पाकिस्तान ताक़तवर फ़ौजी सरबराह जनरल इशफ़ाक़ परवेज़ क्यानी और आई एस आई सरबराह लेफ्टीनेंट जनरल अहमद शुजा पाशाह को मुबय्यना मेमो गेट स्कैंडल पर जारी तात्तुल के पस-ए-मंज़र में बरतरफ़ करने के ताल्लुक़ से संजीदगी से ग़ौर कर रही है। इस मेमो में मुबय्यना तौर पर फ़ौज के इक़तिदार पर क़बज़ा के मंसूबा का इन्किशाफ़ हुआ है।
ज़राए इबलाग़ की इत्तिलाआत में बताया गया है कि हुकूमत परवेज़ क्यानी को तीन साल केलिए दी गई तौसीअ से इंतिहाई नाराज़ है और अहमद शुजाअ पाशा को गुज़श्ता साल उन की मीयाद में एक साल की तौसीअ दी गई जो एक खुला हुआ राज़ है।
दी न्यूज़ ने ज़राए के हवाले से कहा कि इन दोनों जनरलस पर अमेरीका के ख़िलाफ़ गुज़श्ता माह नाटो के फ़िज़ाई हमलों के बाद इंतिहाई सख़्त मौक़िफ़ इख़तियार करने केलिए पाकिस्तान को मजबूर करने का इल्ज़ाम है। इन दोनों ने मुबय्यना मेमो के ताल्लुक़ से भी हुकूमत के ख़िलाफ़ मौक़िफ़ इख़तियार किया है।
इस मेमो में ऐबट आबाद कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में इमकानी फ़ौजी बग़ावत से निमटने केलिए अमरीका से मदद तलब की गई थी। मेमो गेट स्कैंडल हुक्मराँ पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी केलिए कई संगीन मसाइल का मूजिब हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सदर और वज़ीर-ए-आज़म के क़रीबी हलक़ों में इस स्कैंडल के ताल्लुक़ से मुतज़ाद राय पेश की जा रही है। ज़राए ने बताया कि इस स्कैंडल की वजह से क़ौमी सलामती को संगीन ख़तरा लाहक़ हो गया है। इस के इलावा दोनों जनरल्स की बरतरफ़ी के ताल्लुक़ से क़ियास आराईयां भी जारी हैं जबकि वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने गुज़श्ता हफ़्ता फ़ौज पर शदीद नुक्ता चीनी करते हुए कहा था कि किसी ममलकत में एक और दाख़िली ममलकत काबिल-ए-क़बूल नहीं हो सकती।
गिलानी ने गुज़श्ता छः साल के दौरान पाकिस्तान में उसामा बिन लादेन की मौजूदगी का पता चलाने में फ़ौज की नाकामी का भी सवाल उठाया था।