पाकिस्तान में हिंदूओं को शादी केलिए रजिस्ट्रेशन में मुश्किलात

ईस्लामाबाद । 19 सितंबर( पी टी आई) पाकिस्तान में हिन्दू शहरी अपनी शादीयों के रजिस्ट्रेशन के लिए इन दिनों सख़्त जद्द-ओ-जहद में मसरूफ़ हैं क्यों कि हिन्दू मैरेज ऐक्ट से मुताल्लिक़ मुसव्वदा क़ानून की मंज़ूरी में होने वाली ताख़ीर के सबब उन्हें कई दुश्वारियां दरपेश हैं। ये बिल 2008-में तजवीज़ की गई थी जो हनूज़ पार्लीमैंट में पेश नहीं की गई है। इस का मक़सद पाकिस्तान में 40 लाख अफ़राद पर मुश्तमिल सब से बड़ी अक़ल्लीयत हिंदूओं को शादी की राह में होने वाली दुशवारीयों को दूर करना है। रोज़नामा ट्रिब्यून ने कहा है कि पाकिस्तान में हिंदूओं, सिखों और बहाई जैसे चंद अक़ल्लीयती तबक़ात की शादीयों के रजिस्ट्रेशन का कोई मख़सूस निज़ाम नहीं है। पाकिस्तानी हिन्दू शादीयों का सदाक़त नामा ना होने के सबब बैरूनी सफ़र की सूरत में अक्सर शदीद दुशवारीयों का सामना कररहे हैं। पाकिस्तानी पार्लीमैंट के रुकन अरीश कुमार ने कहा कि हमारे लिए ये कोई अच्छा वक़्त नहीं है क्यों कि हमें इस मसला पर हुकूमत की सख़्त मुख़ालिफ़त का सामना है। मज़ीद बरआँ अगर इस बिल को मंज़ूर किया जाता है तो हिंदूओं को भी क़ौमी शनाख़ती कार्ड हासिल होसकते हैं ताहम हिंदूओं में तलाक़ के मसला पर इस अक़ल्लीयती तबक़े और हुकूमत के माबैन शदीद इख़तिलाफ़ात हैं। मिस्टर अरीश कुमार ने कहा कि हमारे धर्म में तलाक़ का कोई तसव्वुर ही नहीं है। फिर हम किस तरह हिन्दू मैरेज ऐक्ट में तलाक़ के फ़ख्रे को शामिल करने की इजाज़त दे सकते हैं। 16 सफ़हात पर मुश्तमिल बिल में 13 फ़िक़रे हैं जिस में तलाक़ भी शामिल है। बिल में कहा गया है कि कोई हिन्दू किसी भी वक़्त किसी भी अदालत में तलाक़ दे सकते हैं।