पाकिस्तान के जुनूब मगरिबी इलाके में मंगल की शाम आए जबरदस्त ज़लज़ले से हिंदुस्तान की दारुल हुकूमत दिल्ली, एनसीआर समेत शुमाली हिंदुस्तान के कई इलाकों में भी ज़लज़ले के झटके महसूस किए गए। पाकिस्तान में ज़लज़ले ने 217 लोगों की जान ले ली। 350 लोग ज़ख्मी हुए हैं।
रिक्टर स्केल पर 7.7 शिद्दत वाले ज़लज़ले का सेंटर बलूचिस्तान सूबा था। इसके झटके कराची, हैदराबाद, लरकाना समेत सिंध सूबे के कई इलाकों के इलावा लाहौर, रावलपिंडी और इस्लामाबाद में भी महसूस किए गए।
Earthquake Reconstruction and Rehabilitation Authority के ब्रिगेडियर वाजिब अख्तर ने बताया कि बलूचिस्तान सूबे के अवारन जिले में 45 लोगों की मौत हो गई। बच्चों और ख्वातीन समेत 80 लोग ज़ख्मी हुए जिन्हे खुजदार के सरकारी अस्पताल में शरीक कराया गया है।
अवरान और खुजदार में सैकड़ों घर मुनहदिम हो गए। आफीसरो ने इन घरों के मलबे में भी कई लोगों के फंसे होने का इम्कान जताया है। बलूचिस्तान सूबे के वज़ीर ए आला अब्दुल मलिक ने बताया कि ज़लज़ले का मरकूज़ ( सेंटर) राजधानी क्वेटा से 69 किमी दूर अवारन में 23 किमी की गहराई पर था। फौज ने राहत व बचाव काम के लिए एक हेलीकॉप्टर, 300 जवान और मेडिकल व बचाव टीम मुतास्सिर इलाकों में भेज दी है।
वज़ीर ए आज़म नवाज शरीफ ने National Disaster Management Authority को हिदायत दी है कि वे जल्द से जल्द मुतास्सिर इलाकों में पहुंचे और राहत व बचाव काम में फौज का साथ दें। शरीफ अकवाम ए मुत्तहदा की जनरल असेम्बली के इजलास में हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं। अवारन समेत आसपास के इलाकों में इमरजेंसी लगा दी गई है।
अमेरिका और पाकिस्तान में ज़लज़ले के झटके एक मिनट तक महसूस किए गए। कराची में झटके महसूस होने के बाद लोग अपने घरों और दफ्तरो से बाहर आ गए। शहर में जगह-जगह लंबे जाम लगे रहे।
अक्टूबर, 2005 में गुलाम कश्मीर में आए 7.6 शिद्दत वाले ज़लज़ले भूकंप में करीब 75,000 लोग मारे गए थे। बलूचिस्तान और कराची में इस साल अप्रैल में भी जमीन थर्राई थी। इसमें 40 लोगों की जान गई थी।
ज़लज़ले की वजह से ग्वादर तट के पास बहरिया अरब (अरब सागर/Arabian Sea) में 40 स्क्वायर फीट का एक टापू बन गया है। ग्वादर के डीआइजी मोअज्जम जाह के मुताबिक यह साहिल से 350 फीट दूर है। टीवी चैनलों ने इसकी तस्वीर भी दिखाई है।
दिल्ली वालों ने महसूस किए ज़लज़ले के झटके
नई दिल्ली, 25 सितंबर: मंगल को आए ज़लज़ले के झटके को दिल्ली वालों ने भी महसूस किया। हालांकि इससे किसी तरह के जानमाल का नुक्सान नहीं हुआ है। मंगल की शाम करीब पांच बजे आए इस ज़लज़ले के झटकों का असर तकरीबन 5-7 सेकेंड तक रहा।
स्कोप मीनार, आइटीओ वाकेय् इंकम् टैक्स महकमा व पुलिस हेड्क़्वार्टर समेत कई इमारतों में बैठे आफीसर शाम को जहां आम दिनों की तरह अपने काम को निपटा रहे थे, अचानक उन्हें कुर्सी के हिलने का एहसास हुआ।
कुछ आफीसरो का कहना था कि एकाएक कुर्सी वगैरह हिलने पर पहले तो वह कुछ समझ न सके, लेकिन बाद में पता चला कि ज़लज़ला आया था।