पाकिस्तान में फ़ौजी भेस में दहश्तगर्दों की फायरिंग

पाकिस्तान में गृह हमलों में इज़ाफ़ा होगया है। आज दहश्तगर्दों ने फ़ौजी लिबास में बसों के एक क़ाफ़िला को रोक दिया और 18 शीया मुसाफ़िरैन को गोली मारकर हलाक कर दिया । ये वाक़्या शुमाली पाकिस्तान में पेश आया जो तालिबान के साबिक़ा ताक़तवर गढ़ स्वात का सरहदी इलाक़ा है । हमला में 8 अफ़राद ज़ख्मी हो गयें।

ममनूआ जुन्दुल्लाह ग्रुप ने इस हमला की ज़िम्मेदारी क़बूल की है । ओहदेदारों ने बताया कि ज़ख्मीयों में दो ख़वातीन और तीन बच्चे भी शामिल है । बंदूक़ बर्दारों ने मुसाफ़िरैन को बस से उतरने की हिदायत दी और उनके शनाख्ती कार्ड्स और दस्तावेज़ात की जांच की|

इसके बाद मुसाफ़िरों को क़तार में खड़ा करके उन पर गोलीयां चला दी गईं। ये वाक़्या आज शुमाली पाकिस्तानी ज़िला कोहिस्तान में पेश आया। बज़ाहिर ये मसलकी हमला था। ये इत्तेला पुलिस अफ़िसरों ने दी।बस में सवार सभी लोग शीया फ़िरक़े से ताल्लुक़ रखते थे और बज़ाहिर मुक़ामी सुन्नी फ़िरक़े के मुसल्लह लोगों ने उन्हें निशाना बनाया। हमला की ज़द में आने वाली बस वस्ती पाकिस्तानी शहर रावलपिंडी से गिलगित जा रही थी ।

पुलिस अफ़िसरों ने बताया कि बस पर उस वक़्त हमला किया गया जब वो एक ऐसे इलाक़ा से गुज़री जहां दो सुन्नी क़बीले रहते हैं। ये इलाक़ा दार-उल-हकूमत ईस्लामाबाद से तक़रीबन 165 किलो मीटर दूर है। पाकिस्तान में अक्सरीयत सुन्नी मुस्लमानों की है । 18 करोड़ की आबादी में शीया मुस्लमान लग भग 15 फ़ीसद हैं।पाकिस्तान में शीया और सुन्नी मुस्लमान बिलउमूम एक दूसरे के साथ पुरअमन तौर पर रहते हैं लेकिन दोनों तरफ़ के जंगजू अनासिर 1980 की दहाई से अब तक हज़ारों लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। 1980 की दहाई में ही पाकिस्तान में इस्लाम पसंदाना जंगजवीत का आग़ाज़ हुआ था।

जुंदुल्लाह के पाकिस्तानी तालिबान और लश्कर झंगवी से क़रीबी रवाबित हैं और ये ग्रुप मुख़ालिफ़ शीया मौक़िफ़ के लिए मशहूर है । बताया जाता है कि महलोकीन में अक्सरीयत उन लोगों की है जो ईरान में मुक़ामात मुक़द्दसा के सफ़र से वापस हो रहे थे । इस हमला के बाद इलाक़ा में कशीदगी बढ़ गई है और हुक्काम ने दो से ज़ाइद अफ़राद के जमा होने पर इमतिना आइद कर दिया है ।

ज़ाइद स्कियोरीटी फ़ोर्स रवाना कर दी गई है और बाज़ार आज बंद रहे । हुक्काम ने तमाम सरकारी दफ़ातिर और स्कूल्स भी तीन दिन बंद रखने का हुक्म दिया है । सदर आसिफ़ अली ज़रदारी और वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने इस हमले की मुज़म्मत की। ज़रदारी ने कहा कि इस तरह की इंसानियत सोज़ जुर्म का इर्तिकाब करने वालों को माफ़ नहीं किया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि दहश्तगर्दी की ये शक्लें हुकूमत को इस लानत से मुक़ाबले में रुकावट नहीं बन सकती । वज़ीर-ए-दाख़िला रहमान मलिक ने वाक़्या की तहक़ीक़ात के लिए पुलिस , आई एस आई और इंटेलीजेंस ब्यूरो के ओहदेदारों पर मुश्तमिल टीम तश्कील दी है और उन्होंने अंदरून तीन यौम रिपोर्ट पेश करने की हिदायत दी ।