पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए सिंध प्रांत की सरकार ‘अल्पसंख्यक रक्षा बिल’ लाई है। मगर कट्टरपंथी धर्मगुरु और संस्थाएं इसका तीखा विरोध कर रही हैं। सोशल मीडिया पर इनके नफरत भरे बयानों के कई वीडियोज को शेयर कर अपील की जा रही है कि ऐसे ‘धर्म के ठेकेदारों’ के बहकावे में न आएं। पाकिस्तानी धर्मगुरु अल्लामा खादिम हुसैन रिजवी कहते हैं ”काफिर, काफिर बनकर दुनिया में रहे, उसको इजाजत है।
किसी मुसलमान मुल्क में अगर काफिर पनाह लेकर रह रहा हो और बगैर वजह किसी मुसलमान ने उसको कत्ल कर दे तो अल्लाह उसपर जन्नत हराम कर दे।” आगे उन्होंने कहा, ”मुसलमान काफिर भी हो जाए तो सब चीजों से महरूम हो जाता है। उसको तो हक ही नहीं रहता, उसको सिर्फ तीन दिन जिंदा रहने की मोहलत है, चौथे दिन उसको कत्ल कर दिया जाता है। ये पाकिस्तान सिर्फ हुज़ूर के लिए बना है। ये ना किसी मिर्जई के लिए बना है, ना किसी यहूदी के लिए बना है, ना किसी ईसाई के लिए बना है। न किसी नवाज के लिए बना है, न मिर्जई के यारों के लिए बना है। पाकिस्तान सिर्फ और सिर्फ रसूल-अल्लाह के लिए बना है।”
एक दूसरी तकरीर में वह कहता नजर आता है, ”इस्लाम अपनी ताकत के दम पर खड़ा है वर्ना हर जगह मिर्जइयों का राज होता। बहुत मिर्जइयों के साथ प्यार है तो इंडिया चले जाओ या जर्मनी चले जाओ, जहां मिर्जई हैं।” “लाख हिंदू रहे, लाख मुस्लिम रहें, मगर हुजूर के बारे में कुछ कहा तो जिंदा नहीं रहेगा। हमें गाली दे लें, हमारे बाप-दादा को गाली दे दें, मगर हुजूर को कुछ नहीं कह सकते।”
वहीं प्रतिबंधित संस्था अहलू सुन्ना वल्ज़ामा के औरंगजेब फारूकी ने 25 दिसंबर को एक तकरीर में सिंध सरकार को अल्पसंख्यक रक्षा बिल वापस लेने की धमकी डे डाली। ट्विटर पर शेयर किए वीडियो में वह जरदारी खानदान के सदस्यों का नाम लेते हुए सरकार को धमकाता नजर आता है।