पाकिस्‍तान में फौजी तख्‍ता पलट का खदशा !

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सीनेट सदर ने इंतेबाह दिया है कि फौज ने अगर फिर से तख्ता पलट करने की कोशिश की तो उसे आईनी तरीके से रोका जाएगा. पाकिस्तान में फौज की तरफ से तख्ता पलट किए जाने की कुछ वाकियात हो चुकी हैं और आजादी के बाद अब तक 68 साल में से तकरीबन आधा दौर मुल्क में फौजी हुकूमत रही है.

International Democracy Day के मौके पर आली ऐवान में कल एक ताबदला ख्याल का इख्तेमाम करते हुये रजा रब्बानी ने यह बात कही थी.

अपोजिशन लीडरों ने ताकतवर फौज और हुकूमत के बीच बढ़ते अलगाव को लेकर खदशा जताया था साबिक में,मुल्क में सीधे हुक्मरानी करने के लिए फौज ने चार बार चुनी हुयी हुकूमत को माज़ूल कर दिया और आईन के आर्टिकल छह के बावजूद फौजी मुदाखिलत जारी रहा. इस आर्टिकल में आईन को रद्द करने को सख्त गद्दारी का जुर्म करार दिया गया है और इसके लिए मौत की सजा का कानून है.

रब्बानी ने कहा, मेरा मानना है कि आर्टीकल छह बेमानी हो गया है. हमारी कमजोरियों ने इसे बेमानी बना दिया है. मेरी नजरों में, आईन का कोई कानून जम्हूरियर की दिफा नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुल्क की जनता फौज को सत्ता पर कब्जा करने से रोक सकती है.

रब्बानी ने कहा सिर्फ जनता ही जम्हूरियत की दिफा कर सकती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक और फौजी मुदाखिलत का सामना नहीं कर सकता. उन्होंने कहा, देश की अंदरुनी और बाहरी स्थिति को देखते हुए लोकतंत्र के अलावा कोई अन्य व्यवस्था संघ (फेडरेशन) को यथावत नहीं रख सकती. पाकिस्तान में अंतिम सैन्य शासन परवेज मुर्शरफ का था जिन्होंने 1999 में सत्ता संभाली थी लेकिन 2008 में उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पडा था.

मुशर्रफ के खिलाफ वर्ष 2013 में घोर राजद्रोह का एक मामला दर्ज किया गया था लेकिन सेना के दबाव के कारण उसे प्रभावी तरीके से छोड़ दिया गया. बहरहाल प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार ने मुशर्रफ को विदेश जाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया.