पाक अमेरीका कशीदगी बड़े तनाज़ा को सबब बन सकती है

बर्तानवी अख़बार फायनेंशियल टाईम्स के मुताबिक़ हालिया हफ़्तों में पाक अमेरीका ताल्लुक़ात मामूल पर आने का इम्कान (संभावना) था लेकिन अचानक डाक्टर आफ़रीदी की सज़ा और अमेरीकी सेनेट में इम्दाद की कटौती ने दोनों ममालिक (देशो/मुल्को) के दरमयान ताल्लुक़ात (संबंध)की कशीदगी को मज़ीद (और भी) गहरा कर दिया है |

पाक अमरीका कशीदगी ने इन तमाम हिक्मत-ए-अमली ( व्यवहारिक संगत/ युक़्ति) और मंसूबा बंदी (इरादों /योजनाओ) को मज़ीद (और भी) शकूक (शक के घेरे में) में डाल दिया , जब अमेरीका और नाटो अफ़्ग़ानिस्तान के इस्तेहकाम (मजबूती) के लिए एक तवील मुद्दती ( लंबे समय से) हिक्मत-ए-अमली ( कूटनीती) पर काम कर रहे थे और 2014 के आख़िर पर इत्तिहादी अफ़्वाज ( मित्र सेनाओं) को अफ़्ग़ान जंग से निकालने के तरीक़ा कार को तय करने पर लगे थे अमेरीकी सेनेट में मौजूद दोनों अतराफ़ के सेनेटर्स शकील आफ़रीदी की सज़ा को काबिल-ए-मुज़म्मत ठहराने में एक सफ़ ( कतार/लाइन) में खड़े नज़र आते हैं

पाकिस्तान के साथ 33 मिलीयन डालर की इम्दाद ( मदद) की कटौती की हालिया कशीदगी की लहर है ,ये कटौती एक अलामती नज़र आती है, सेनेट कमेटी ने एक हफ़्ता क़बल नाटो सप्लाई की बहाली तक पाकिस्तान की इम्दाद में भारी कटौती का मुतालिबा किया है जबकि जान मकीन का कहना था कि हम सब पाकिस्तान से नाराज़ हैं अख़बार के मुताबिक़ जब पाकिस्तानी सदर (राष्ट्रपती)आसिफ़ अली ज़रदारी ने आख़िरी लम्हात में शिकागो में नाटो के सरबराही इजलास(सभा) में शिरकत करने का ऐलान किया तो ऐसा लग रहा था कि स्पलाई की बहाली पर मफ़ाहत तय पाने के क़रीब है

लेकिन नाटो स्पलाई की बहाली पर कोई मुआहिदा ना होना नए ख़दशात(डर/शंकाये) को जन्म दे गया, ओबामा के साथ मुलाक़ात में ज़रदारी को गुफ़्तगु की चन्द लम्हे मिले अख़बार लिखता है कि दोनों ममालिक ( देशों) के रहनुमाओं को अपने मुल्की मुआमलात (मामलों) में मुश्किलात दरपेश (किसी मुश्किल काम की मौजूदगी) हैं,ज़रदारी के मुख़ालिफ़ीन (विरोध करने वाले/शत्रु/दुशमन)सलाला पोस्ट वाक्ये पर अमेरीकी माफ़ी का मुतालिबा कर रहे हैं जब कि ओबामा इंतिख़ाबी साल (चुनावी वर्ष)की वजह से माफ़ी नहीं मांग रहे पाक अमेरीका के दरमयान पहले से ग़ैर फ़ाअल तालक़ात मज़ीद (और भी)अबतर हो चुके हैं |

पाकिस्तान में अमेरीका मुख़ालिफ़ जज़बात अपने उरूज पर हैं ड्रोन हमले मज़ीद जलते पर तेल का काम कर रहे हैं अमेरीकी सियास्तदान ईस्लामाबाद को हदफ़ तन्क़ीद (परख/समीक्षा) का निशाना बनाने में तेज़ी ले आए हैं अख़बार के मुताबिक़ ये तनाज़आत ( झगड़ा/ तनाव) दोनों ममालिक (दोनो देशों के बीच) के माबैन बहुत बड़े मसले ( समस्याओं) का बाइस (सबब/ कारण) बन सकते हैं वाशिंगटन इन तमाम तल्ख़ियों के बावजूद पाकिस्तान के मुताल्लिक़ समझता है कि आख़िर कार अफ़्ग़ान जंग से इनख़ला, तालिबान से सयासी मुआमलात तय करने और अफ़्ग़ानिस्तान के इस्तिहकाम ( मजबूती) के लिए पाकिस्तान की मदद ज़रूरी है|